क्या सचमुच तय हो गई है चीन-पाक से युद्ध की तारीख, यूपी के बाद जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष का भी बयान आया सामने

स्वतंत्र देव सिंह के बयान के बाद सोमवार को जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने भी ऐसा ही बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन से भारत अपनी एक-एक इंच जमीन वापस लेकर रहेगा, भले ही इसके सैन्य शक्ति का ही इस्तेमाल क्यों न करना पड़े।

फोटो : सोशल मीडिया
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तसलीम खान

क्या भारत ने पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध की तारीख तय कर दी है? क्या इन दोनों देशों से युद्ध अवश्यंभावी हो गया है? क्या हम मौजूदा हालात में, खासतौर से तब जब कोरोना महामारी से पूरा विश्व परेशान हैं, युद्ध में जा सकते हैं? यह कुछ सवाल है जों यूं ही नहीं पूछे जा रहे। दरअसल इसका संदर्भ बीजेपी के दो वरिष्ठ नेताओं के उन बयानों से है जिनमें पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध की बातें कही गई हैं।

उत्तर प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष का यह बयान सामने आते ही सनसनी मच गई थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध की तारीख तय कर दी है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का बड़ा बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन और पाकिस्तान से युद्ध कब होगा, उसकी तारीख तय कर ली है। और यह सिर्फ बयान नहीं था। उनके इस बयान का वीडियो खुद बीजेपी के एक विधायक ने ही शेयर किया।

बताया गया कि उन्होंने यह बात उत्तर प्रदेश में बलिया के सिकंदरपुर विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में हुए एक भूमि पूजन समारोह में कही। कथित तौर पर बयान में कहा गया कि जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हुआ और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया गया, उसी तरह पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध भी होगा। वीडियो में उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान और चीन से युद्ध कब होना है। उसकी तिथि तय है कि कब क्या होना है। रविवार को स्वतंत्र देव सिंह के इस बयान को बीजेपी विधाक संजय यादव ने शेयर किया।

स्वतंत्र देव सिंह के बयान के बाद सोमवार को जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने भी ऐसा ही बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन से भारत अपनी एक-एक इंच जमीन वापस लेकर रहेगा, भले ही इसके सैन्य शक्ति का ही इस्तेमाल क्यों न करना पड़े। उनका यह बयान समाचार एजेंसी पीटीआई ने दिया है।


दो राज्यों के बीजेपी अध्यक्षों द्वारा एक ही जैसा बयान सामने आने से सवाल उठना लाजिमी हैं। आखिर क्यों बीजेपी नेता ऐसा कह रहे हैं। बिहार में चुनाव चल रहे हैं और दो दिन बाद पहले दौर का मतदान होना है। बिहार चुनाव में जीत-हार किसी की भी हो, लेकिन वह सारे असली मुद्दे जरूर सामने आ गए जो देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लोग नेताओँ की बात सुन रहे हैं और प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

तो क्या ऐसा माना जाए कि एक बार फिर असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति के तहत बीजेपी नेताओं से ऐसे बयान दिलवाए जा रहे हैं। याद करें कि जब कोरोना महामारी के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन से करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए, लाखों प्रवासी मजदूर बिना अन्न-जल और किसी साधन के पैदल ही अपने घरों को निकल पड़े, जब अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक तौर पर रसातल में चली गई, और विपक्ष के साथ ही आम लोगों ने भी इन सबकी बातें शुरु कर दीं, तो फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मुद्दे को बेवजह तूल दिया गया।

यह भी याद करें कि जब गैर जरूरी नोटबंदी और हड़बड़ी में लागू किए गए जीएसटी से कारोबार ठप हो गए, लोगों की नौकरियां चली गईं, छोटे और मझोले उद्योग धंधे बंद हो गए, ऐन गुजरात चुनाव के मौके पर पाकिस्तान की काल्पनिक साजिश का ढोल पीटा गया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की गई और माहौल में राष्ट्रवादी तड़का लगाकर असली मुद्दों से आम लोगों का ध्यान भटकाया गया।

हो सकता है बीजेपी के इन दो प्रदेश अध्यक्षों ने अतिरेक में पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध के बयान दिए हैं, लेकिन सर्वविदित है कि बीजेपी में किसी भी नेता का कोई भी बयान आलाकमान की सहमति के बिना नहीं आता। एक बार फिर एक काल्पनिक युद्ध की बातें की जा रही हैं। भले ही ओपीनियन पोल बिहार में एनडीए को बढ़त दिखा रहे हों, लेकिन जमीनी स्तर की खबरें और राजनीतिक विश्लेषकों की राय अलग तस्वीर सामने रखती हैं।

युद्ध का बिगुल बजाने की कोशिश तो की जा रही है, लेकिन युद्ध की कीमत सिर्फ सरकारों को नहीं, आम लोगों को भी चुकानी होती है, और किसी भी समस्या का हल युद्ध कभी नहीं होता।

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