सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!

जिस तरह पी चिदंबरम, हरीश रावत, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, शशि थरूर, राजीव शुक्ला जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ एकजुटता जताने के लिए सड़कों पर उतरे, उससे सत्ताधारी दल बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ गई होगी।

फोटो: विपिन
फोटो: विपिन

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चाहता तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके घर जाकर भी पूछताछ कर सकता था। लेकिन जिस तरह ईडी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पांच दिनों तक पूछताछ की, उसी तरह आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को उसने अपने दफ्तर बुलाया। लेकिन इस कवायद में न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भर गया, बल्कि केंद्र की मोदी सरकार के गुस्सा भी फूट पड़ा।

जैसा कि अंदेशा था, दिल्ली के अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय को आज सुबह से ही छावनी में तब्दील कर दिया गया था। कांग्रेस दफ्तर की तरफ जाने वाले रास्तों पर पाबंदियां लगाकर एक तरह से रास्तों को सील कर दिया गया था। अकबर रोड पर सिर्फ उन्हीं लोगों को जाने की इजाजत थी जो या तो मीडियाकर्मी थे या फिर जिनके नाम पुलिस के पास पहले से थे।

24 अकबर रोड स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में जहां एक तरफ कांग्रेस सेवा दल के सदस्य सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ महिला कांग्रेस सदस्यों ने बड़ी संख्या में सोनिया गांधी की तस्वीरें लगा रखी थी और हाथों में बिलबोर्ड उठा रखे थे। ये लोग भी सोनिया गांधी के पक्ष में और सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए देखे गए। 'मोदी जब डरता है, ईडी को आगे करता है' और 'सोनिया गांधी जिंदाबाद' के नारों से पूरा मुख्यालय गूंज रहा था।

10 बजे के आसपास कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धीरे-धीरे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने लगे थे। इसके बाद कांग्रेस सांसदों का आना भी शुरु हो गया। सभी सांसदों और वरिष्ठ नेताओं के पहुंचने के बाद कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं और सेवादल के लोगों ने पार्टी दफ्तर से बाहर आकर नारेबाजी शुरु की। जैसे ही ये लोग बाहर आए, पुलिस ने ऐलान शुरु कर दिया कि इलाके में धारा 144 लागू है, इसलिए सभी लोग अंदर जाएं। इसके बाद रैपिड एक्शन फोर्स की महिला कर्मियों ने महिलाओं को पकड़कर बस में बिठाना शुरु कर दिया, और आरएएफ के पुरुष कर्मियों ने कांग्रेस सेवा दल के लोगों को हिरासत में लेना शुरु कर दिया। इस दौरान जोरदार धक्कामुक्की हुई और एक तरह से भगदड़ सी मच गई।

इसी हंगामे के बीच वह कार 10 जनपथ से कांग्रेस मुख्यालय की तरफ मुड़ी जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं। उनके साथ राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा भी मौजूद थीं। सोनिया गांधी की कार आते ही कांग्रेस के सभी शीर्ष नेता एकजुटता दिखाते हुए उनके साथ चल पड़े। सोनिया गांधी की कार ने बमुश्किल 200 मीटर की दूरी तय की होगी कि पुलिस ने बाकी नेताओं को बैरिकेड्स पर रोक दिया। और, सोनिया गांधी की कार ईडी कार्यालय के लिए रवाना हो गई।

इसके बाद कांग्रेस के सभी वरिष्ठ सदस्य कांग्रेस मुख्यालय के बाहर ही धरने पर बैठ गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसी दौरान पुलिस ने कांग्रेस की जिन महिला कार्यकर्ताओं को पुलिस बस में बिठा रखा था उसे और सेवादल के लोगों को दूसरी बस से थाने भिजवा दिया। और फिर दो बसों में कांग्रेस सांसदों और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी थाने ले जाया गया।

सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!
सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!
सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!
सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!
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सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!
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सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर बुलाकर क्या मोदी सरकार ने राजनीतिक गलती कर दी!

कांग्रेस का हर नेता गुस्से में था। इन नेताओं ने दोहराया कि सरकार की मंशा दरअसल विपक्ष की आवाज को दबाना है, इसलिए वह इस किस्म की कार्रवाई कर रही है। पूर्व को उठाता है और सरकार इन मुद्दों से परेशान होती है, इससे बचने के लिए वह कांग्रेस को परेशान करने के बहाने ढूंढती है। वहीं राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्य और कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि मौजूदा सरकार ने ईडी को विपक्ष के खिलाफ हथियार बना रखा है। इसी हथियार का इस्तेमाल कर केंद्र की मोदी सरकार राज्यों में विपक्ष की सरकारें उखाड़ फेंकती है, और अपनी सरकार बनाती है और विपक्ष को निशाना बनाती है।

जिस तरह पी चिदंबरम, हरीश रावत, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, शशि थरूर, राजीव शुक्ला जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ एकजुटता जताने के लिए सड़कों पर उतरे, उससे सत्ताधारी दल बीजेपी के नेताओं की नींद उड़ गई होगी। लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि इसने कांग्रेस के सदस्यों में बहुत जोश भर दिया है। वहां मौजूद कांग्रेस के कुछ लोगों ने कहा कि कांग्रेस सड़कों से ही बचेगी। तो क्या माना जाए कि सरकार ने कांग्रेस को सड़कों पर उतर कर नए सिरे से उबरने का एक मौका मुहैया करा दिया है!

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