नफरती बोल: कांग्रेस का सवाल- संपूर्ण बहिष्कार और मारकाट की बात करने वालों पर 72 घंटे बाद भी क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में बीजेपी के सांसद और विधायक दिमाग ठीक करने, संपूर्ण बहिष्कार और मारकाट की धमकी देते हैं लेकिन उनपर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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रवि प्रकाश @raviprakash24

बीजेपी के नेता अक्सर अपने बयानों के लिए विवादों में रहते हैं। उनपर समाज में नफरत फैलाने और बांटने के आरोप लगते रहते हैं। एकबार फिर से बीजेपी के सांसद और विधायक पर समाज को बांटने वाले बोल बोलने के आरोप लग रहे हैं। बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा और लोनी विधायक नंद किशोर गुर्जर पर ये आरोप लगे हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी से सवाल किया है। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी के साथ-साथ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 72 घंटे हो गए हैं बीजेपी सांसद के कुत्सित बयान सार्वजनिक हुए लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सुप्रिया ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में बीजेपी के सांसद दिमाग ठीक करने की और संपूर्ण बहिष्कार की धमकी देते हैं लेकिन उनपर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि लोनी के एक और बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने मारकाट की बात की लेकिन उनपर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया कि चुन-चुन कर मारना, दिमाग ठीक करना, पूर्ण बहिष्कार, तबियत दुरुस्त कर देना; अगर ये शब्द हेट स्पीच नहीं है, तो फिर नफरती भाषण क्या है?


सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ये लोग ऐसे बयान इसलिए देते हैं, क्योंकि ये श्योर शॉट हैं कि ऐसा करने और कहने से बीजेपी में टिकट, मंत्री पद आदि तय है। इनके आदर्श अनुराग ठाकुर जैसे नेता हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने मीडिया को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मीडिया के चरण चुंबक भी चुप बैठे हैं। इसके बाद केजरीवाल पर हमला बोलते हुए सुप्रिया ने कहा कि सवाल मोदी जी के छोटे रीचार्ज अरविन्द केजरीवाल से भी है, जो मौन धारण किए बैठे हैं। सुप्रिया ने कहा कि, जब दिल्ली में बुलडोजर चलता है, जब दिल्ली में दंगे होते हैं, जब जंतर-मंतर पर काटो-काटो का नारा लगाया जाता है, अब दिल्ली के एक सांसद एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाते हैं; तब केजरीवाल जी मौनव्रत क्यों धारण कर लेते हैं।


उन्होंने आगे कहा कि सवाल पूछने पर केजरीवाल कहेंगे कि दिल्ली पुलिस मेरे अधीन नहीं है, पर उनकी ज़बान तो उनके अधीन है। हिम्मत कर कुछ बोलिए अरविंद केजरीवाल। इस मामले में कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए, क्योंकि जिन सबको बोलना चाहिए, वहां सुई पटक सन्नाटा है।

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