हाथरस केसः सीबीआई चार्जशीट से यूपी पुलिस पर उठे सवाल, समय पर मेडिकल नहीं कराने का भी आरोप

हाथरस केस में यूपी पुलिस के काम करने के तरीके पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सीबीआई ने कहा कि पीड़िता ने चंदपा पुलिस स्टेशन में ‘जबरदस्ती’ शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया और न मेडिकल जांच कराई गई, न ही दुष्कर्म का कानून ही लागू किया गया।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में दायर अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने इस गंभीर मामले को हैंडल करने के तरीके को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस पर सवाल उठाए हैं। साथ ही सीबीआई ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को नजरअंदाज करने और समय पर पीड़िता की मेडिकल जांच नहीं कराने का भी आरोप लगाया है।

हाथरस मामले में सीबीआई की जांच टीम ने 18 दिसंबर को हाथरस की अदालत में चार्जशीट दायर की। जांच एजेंसी ने 19 पन्नों की अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि चंदपा पुलिस स्टेशन में पुलिस ने 14 सितंबर को पीड़िता के मौखिक बयान नहीं लिए। साथ ही सीबीआई ने कहा कि पुलिस ने 2 बार यौन उत्पीड़न के आरोपों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे फॉरेंसिक सबूत नष्ट हो गए।

सीबीआई चार्जशीट में दावा किया गया है कि पीड़िता का बयान 5 दिन बाद लिया गया और 8 दिन बाद जांच कराई गई। पुलिस के काम करने के तरीके पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सीबीआई ने कहा कि पीड़िता ने चंदपा पुलिस स्टेशन में 'जबरदस्ती' शब्द का इस्तेमाल किया, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया और न मेडिकल जांच कराई गई, न ही दुष्कर्म का कानून ही लागू किया गया।

इसके बाद 19 साल की पीड़िता की गंभीर हालत देखते हुए उसे अलीगढ़ रेफर कर दिया गया।सीबीआई ने कहा कि 19 सितंबर को पीड़िता ने अपने पुलिस बयान में फिर से 'छेड़खानी' शब्द का इस्तेमाल किया। उस समय आईपीसी की धारा 354 जोड़ी गई। 22 सितंबर को जब पीड़िता ने स्पष्ट रूप से 4 आरोपियों के खिलाफ 'दुष्कर्म' शब्द का इस्तेमाल किया, तब जाकर उसका चिकित्सा परीक्षण किया गया। यह भी आरोप है कि पहली बार लिखित में उसके बयान को खारिज करते हुए पुलिस ने 2 अन्य सह-आरोपियों के नाम भी नहीं जोड़े।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ कथित तौर पर 14 सितंबर को 4 पुरुषों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस दौरान उसके साथ बर्बर तरीके से मारपीट की गई, जिसकी वजह से उसकी रीढ़ और गर्दन की हड्डी टूट गई थी और उसकी जबान भी कट गई थी। बाद में उसे बेहतर इलाज के लिए अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई।

हालांकि, मौत के बाद भी पीड़िता के कष्ट खत्म नहीं हुए और परिवार की मंजूरी के बिना ही पुलिस ने देर रात आनन-फानन में पीड़िता का दाह संस्कार कर दिया था, जिसके कारण इस घटना के खिलाफ पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। इस मामले को लेकर चौतरफा विरोध-प्रदर्शन से बढ़ते दबाव के कारण प्रदेश की योगी सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। जिसके बाद सीबीआई के अधिकारियों ने 11 अक्टूबर से इस मामले को अपने हाथों में ले लिया था।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia