हाथरस कांड: हाईकोर्ट में बोला पीड़ित परिवार - पुलिस ने परेशान किया, डीएम ने धमकाया

हाथरस के पीड़ित परिवार ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि पुलिस ने शुरु से ही जांच सही नहीं की, उन्हें परेशान किया गया और बिना परिवार की सहमति के रात में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के हाथरस के एक गांव में एक दलित लड़की की कथित तौर पर हत्या के बाद मामला लगाता सुर्खियों में बना हुआ है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई। सुनवाई को दौरान पीड़ित परिवार ने कोर्ट से साफ कहा कि पूरे मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुरु से ही सही जांच नहीं की। परिवरा ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने उन्हें परेशान किया, शुरु में एफआईआर तक नहीं लिखी। इतना ही नहीं जब दिल्ली के अस्पताल में उनकी बेटी की मृत्यु हो गई तो बिना परिवार की सहमति के रात के अंधेरे में अंतिम संस्कार कर दिया गया। पीड़ित परिवार ने कहा कि इस मामले में हाथरस के जिलाधिकारी ने भी उन पर दबाव बनाया। स मामले की सुनवाई अब 2 नवंबर को होनी है।

हाईकोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी, डीजीपी एचसी अवस्थी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के अलावा हाथरस के डीएम और एसपी को भी तलब किया था। हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से विनोद शाही ने पैरवी की। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने पहली अक्टूबर को इस मामले का खुद संज्ञान लिया था।

इससे पहले पीड़ित परिवार को 6 सरकारी गाड़ियों में लखनऊ ले जाया गया। परिवार सुबह 5 बजे हाथरस से रवाना हुआ था। हालांकि प्रशासन परिवार को रात में ही लखनऊ ले जाना चाहता था लेकिन परिवार ने साफ कह दिया था कि उन्हें पुलिस और प्रशासन पर भरोसा नहीं है। लखनऊ पहुंचने पर परिवार को उत्तराखंड भवन में ठहराया गया था।


ध्यान रहे कि 14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में कथित तौर पर 4 लोगों ने एक दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था, इसके बाद उसकी बेहरहीम से पिटाई की थी। लड़की को पहले स्थानीय अस्पताल, फिर अलीगढ़ में मेडिकल कॉलेज में और आखिर में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। मामले के चारों आरोपियों को गिफ्तार कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया है, साथ ही सीबीआई से भी जांच कराने की सिफारिश की है। करीब 10 दिनों बाद सीबीआई ने इस मामले को हाथ में ले लिया है।

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