बिहार में SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई, राजनीतिक दलों ने दायर की हैं याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त से एनजीओ, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों द्वारा दायर याचिकाओं सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

सुु्प्रीम कोर्ट निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने के खिलाफ राजनीतिक दलों सहित कई अन्य द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
निर्वाचन आयोग ने 24 जून को राज्य की मतदाता सूचियों का गहन विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ निर्वाचन आयोग की टिप्पणी पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) और अन्य याचिकाकर्ताओं के जवाब पर विचार करेगी। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने एसआईआर प्रक्रिया में अपनी पात्रता के दस्तावेज दाखिल कर दिये हैं।
सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त से एनजीओ, कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों द्वारा दायर याचिकाओं सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने तब सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के मसौदा मतदाता सूची से छूट गए मतदाताओं को दावा पेश करने के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से भी अर्जी देने का विकल्प दे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर को राजनीतिक दलों द्वारा समय सीमा बढ़ाने के लिए दायर कुछ आवेदनों पर सुनवाई की। उस दौरान निर्वाचन आयोग ने पीठ को बताया कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत बिहार में तैयार किए गए मसौदा मतदाता सूची में दावे, आपत्तियां और सुधार के लिए आवेदन एक सितंबर के बाद भी दिये जा सकते हैं, लेकिन मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इन पर विचार किया जाएगा।
इसमें कहा गया था कि मसौदा मतदाता सूची में दावे और आपत्तियां प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन फॉर्म की अंतिम तिथि तक दाखिल की जा सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर पर भ्रम को ‘‘बड़े पैमाने पर विश्वास का मुद्दा’’ बताया और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने में व्यक्तिगत मतदाताओं और राजनीतिक दलों की सहायता के लिए कानूनी स्वयंसेवकों को तैनात करे।
निर्वाचन आयोग ने एसआईआर अनुसूची के अनुसार दावे और आपत्तियां दाखिल करने के लिए एक सितंबर की समय सीमा को आगे बढ़ाने का विरोध किया था। आयोग ने कहा था कि शीर्ष अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बाद 30 अगस्त तक केवल 22,723 दावे शामिल करने के लिए दायर किए गए थे और 1,34,738 आपत्तियां बाहर करने के लिए दायर की गई थीं।
बिहार एसआईआर के लिए निर्वाचन आयोग की 24 जून की अनुसूची के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा एक सितंबर को समाप्त हो गई है, और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से निर्वाचन आयोग की टिप्पणी पर अपना जवाब देने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानूनी सहायक संबंधित जिला न्यायाधीशों को एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपेंगे और राज्य के एकत्रित आंकड़ों पर आठ सितंबर को विचार किया जाएगा।