मध्य प्रदेश के गुना में बंधुआ मजदूरों के साथ अमानवीयता, शराब माफियाओं ने हाथ तक जलाए

मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों की दास्तान दिल दहला देने वाली है। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने दबंगों से कुछ हजार रुपये कर्ज में लिए थे। जिसके एवज में वे बीते तीन से 15 साल से बंधुआ मजदूरी कर रहे थे। इन लोगों से दिन में 18 घंटे तक काम कराया जाता था।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश के गुना जिले में गरीब आदिवासियों को बंधुआ मजदूर बनाए जाने और उनके साथ अमानवीयता की हद पार करने का गंभीर मामला सामने आया है। काम करने में आनाकानी करने पर गर्म तेल में हाथ तक जलाए गए। जिला प्रशासन ने बुधवार को शराब माफियाओं सहित अन्य के यहां वर्षों से बंधुआ मजदूर बनाकर रखे गए 15 मजदूरों को मुक्त कराया है।

प्रशासन ने बताया कि जिले में शराब के अवैध-धंधे में लिप्त शराब माफियाओं के विरूद्ध सघन अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में राघौगढ़ के राजपुरा में छापामारी के दौरान बड़ी मात्रा में अवैध मदिरा जब्त कर नष्ट की गई। जिला प्रशासन की उक्त कार्रवाई में बंधुआ श्रमिकों को बंधक मजदूरी से मुक्त होने का रास्ता दिखाया और सोमवार को बंधक बनाए गए 10 श्रमिक नियोजकों से मुक्ति के लिए बाहर निकले गए।

राजपुरा में और बंधक श्रमिक होने की जानकारी मिलने पर जिला कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम के निर्देश पर अनुविभागीय दंडाधिकारी अक्षय ताम्रवाल (आईएएस) द्वारा पुलिस बल और अन्य राजस्व अमले के साथ छापेमारी कर पांच और बंधक श्रमिकों को मुक्त करा लिया गया। उक्त समस्त 15 बंधक श्रमिकों को बंधक श्रमिक मुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने कहा, "मुक्त हुए बंधक श्रमिकों को 20-20 हजार रुपए की पुर्नवास सहायता प्रदान की जाएगी। बंधक श्रमिक के रूप में कार्य कराने वाले नियोजकों के खिलाफ केस होगा और नियोजकों पर दोष सिद्ध होने पर मुक्त कराए गए पुरूष बंधक श्रमिको को एक-एक लाख रुपए और प्रत्येक मुक्त कराई गई महिला बंधक श्रमिक को दो-दो लाख रुपए की राशि प्रदान करना होगा। उक्त सभी को शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभांवित कराया जाएगा। मुक्त हुए बंधक श्रमिकों के पुर्नवास, रोजगार एवं उनके बच्चों के शिक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी।"

आज जो बंधुआ मजदूर मुक्त हुए हैं, उनकी दास्तान दिल दहला देने वाली है। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने दबंगों से कुछ हजार रुपये कर्ज में लिए थे। जिसके एवज में वे बीते तीन से 15 साल से बंधुआ मजदूरी कर रहे थे। इन लोगों से दिन में 18 घंटे तक काम कराया जाता था।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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Published: 10 Feb 2021, 10:17 PM