ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ हेमंत सोरेन की सुप्रीम कोर्ट में अपील, कल होगी सुनवाई

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट कल इस मामले पर सुनवाई करेगा।

कार से अपने समर्थकों को हाथ हिलाते हुए हेमंत सोरेन (फोटो - @HemantSorenJMM)
कार से अपने समर्थकों को हाथ हिलाते हुए हेमंत सोरेन (फोटो - @HemantSorenJMM)
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बुधवार को उनकी गिरफ्तारी की चुनौती दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिका को मंजूर करते हुए कल यानी शुक्रवार (2 फरवरी) को इस पर सुनवाई लिए लिस्ट किया है। हेमंत सोरेन की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस बाबत सोरेन द्वारा झारखंड हाईकोर्ट में दाखिल अर्जी को वापस ले लिया जाएगा।

दोनों वकीलों ने हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने ही आदेश दिया था कि ईडी को गिरफ्तारी से पहले लिखित रूप से गिरफ्तारी का आधार बताना होगा और कोर्ट को भी आश्वस्त करना होगा कि गिरफ्तारी करना जरूरी है। कपिल सिब्बल ने कहा कि, “इस कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 19 के प्रावधानों के सामने रखा था...ऐसे में किसी भी व्यक्ति को इस तरह कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है...यह देश की राजनीति को प्रभावित करने वाला मुद्दा है....।”

इस बीच हेमंत सोरेन का एक वीडियो सामने आया है जो उन्होंने बुधवार को अपनी गिरफ्तारी से पहले रिकॉर्ड किया था। इस वीडियो में सोरेन उस 8 एकड़ जमीन के कथित घोटाले में कोई भी हाथ होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि यह उनकी सरकार के खिलाफ साजिश है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ईडी अधिकारियों ने उन्हें दिन भर पूछताछ के नाम पर उलझाए रखा ताकि वे कोर्ट की शरण में न जा सकें। उन्होंने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी लगता है अब कर ही ली जाएगा, लेकिन वे एक फाइटर हैं और लड़ाई लड़ने के लिए फिर से सामने आएंगे।


हेमंत सोरेन के अधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से एक फोटो भी शेयर किया गया है जिसमें वे लोगों को हाथ हिला रहे हैं। इसके साथ उन्होंने लिखा है, “यह एक विराम है

जीवन महासंग्राम है

हर पल लड़ा हूं, हर पल लड़ूंगा

पर समझौते की भीख मैं लूंगा नहीं

क्या हार में, क्या जीत में

किंचित नहीं भयभीत मैं

लघुता न अब मेरी छुओ

तुम हो महान, बने रहो

अपने लोगों के हृदय की वेदना

मैं व्यर्थ त्यागूंगा नहीं

हार मानूंगा नहीं...

जय झारखण्ड!”

हेमंत सोरेन ने एक पत्र भी जारी किया जो उन्होंने विधायकों के नाम लिखा है। इसमें विधायकों को याद दिलाया गया है कि उन्होंने गिरफ्तारी से पहले उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार दिया था। इसके बाद ही उन्होंने पार्टी के और परिवार के नजदीकी चम्पाई सोरेन को उत्तराधिकारी नियुक्त किया है।


बता दें कि झारखंड की कुल 81 विधायकों वाली विधानसभा में सत्तारुढ़ गठबंधन के 48 विधायक हैं। इनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के 30 और कांग्रेस के 17 विधायक शामिल हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी ने झारखंड में 25 सीटें जीती थीं और जेवीएम के तीन, आजसू के दो और बीजेपी के बागी निर्दलीय सरयू राय के समर्थन के साथ उसके पास कुल 33 विधायक हैं। झारखंड में सरकार बनाने के लिए कम से कम 41 विधायकों की जरूरत होती है।

इस बीच ऐसी खबरें भी आई हैं कि राज्यपाल को सौंपी गई सूची में जेएमएम के 4 विधायकों के नाम नहीं हैं। इनमें सोरेन की भाभी सीता सोरेन का नाम भी है।

इधर सत्तारूढ़ गठबंधन ने राज्यपाल पर आरोप लगाया है कि समर्थन का पत्र दिए जाने और सरकार बनाने का दावा किए जाने के बावजूद राज्यपाल ने अभी तक चम्पाई सोरेन को शपथ नहीं दिलाई है, और जानबूझकर राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा कर दी है।

इस बीच हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ बुलाए गए राज्य बंद से जेएमएम ने खुद को अलग कर लिया है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि वे राज्यपाल को किसी किस्म का बहाना बनाने का मौका नहीं देना चाहते।

ध्यान रहे कि पिछले साल बीजेपी ने झारखंड में ऑपरेशन लोटस की कोशिश की थी और कांग्रेस के कुछ विधायकों को तोड़ने के प्रयास किए थे। झारखंड पुलिस के मुताबिक तीन विधायकों को पहले गुवाहाटी और बाद में कोलकाता ले जाया गया था। हालांकि इन तीनों को एनएच-16 पर एक एसयूवी में जाते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके पास से 50 लाख रुपए नकद बरामद हुए थे। पूछताछ में इन तीनों विधायकों इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन बिक्सल ने पुलिस को बताया था कि यह पैसा साड़ियां खरीद कर बांटने के लिए था। हालांकि कोलकाता पुलिस ने दावा किया था कि यह उस रकम का एक छोटा सा हिस्सा था जो उन्हें तोड़ने के लिए दिया गया था। कांग्रेस ने इन तीनों विधायकों को सस्पेंड कर दिया था और बीजेपी पर आरोप लगाया गया था इन तीनों को 10-10 करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी।

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