सवर्णों को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल पर लोकसभा में बहस जारी, निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगा

सरकार ने आर्थिक रूप से कमज़ोर सवर्णों को10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश कर दिया है। इसबिल पर शाम पांच बजे से बहस होनी है। लगभग सभी विपक्षी दलों ने बिल से सहमति जताई है, लेकिन इसे राजनीतिक लाभ लेने का कदम बताया है। आइए आपको बताते हैं कि बिल में आखिर है क्या?

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश के तीन बड़े हिंदी भाषी राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बाद केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी को अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है। बीजेपी की इस हार का एक कारण सवर्णों की नाराजगी भी मानी गई थी। इसीलिए इस साल होने वाले लोकसभा चुनावों में सवर्णों को साधने के लिए सरकार ने आरक्षण का दांव खेला है।

सवर्णों को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल पर लोकसभा में बहस जारी, निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगा
सवर्णों को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल पर लोकसभा में बहस जारी, निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगा
सवर्णों को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल पर लोकसभा में बहस जारी, निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू होगा

सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दे दी। इस फैसले को कानूनी जाना पहनाने के लिए सरकार को संविधान संशोधन की जरूरत है, इसके लिए सरकरा ने मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। अगर यह बिल पास होता है तो संविधान में यह 124वां संशोधन होगा।

बिल के मसौदे के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण जाति के लोगों को ही आरक्षण मिलेगा। इस आरक्षण का फायदा सिर्फ उन लोगों को मिलेगा जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख रुपये से कम है। बिल के मसौदे में कहा गया है कि इसके अलावा समय-समय पर इस आरक्षण की जानकारी अधिसूचित की जाती रहेगी। संविधान संशोधन बिल के इस मसौदे के मुताबिक आर्थिक रूप से दुर्बल वर्ग के सवर्णों को शिक्षा, रोजगार, सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों में भी इसका लाभ मिलेगा।

गौरतलब है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में ओबीसी को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) को 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 7.5 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। इस तरह से कुल 49.5 प्रतिशत आरक्षण का फिलहाल प्रावधान है। सरकार का यह बिल अगर पास होता है और लागू होता है तो आरक्षण का आंकड़ा 59 प्रतिशत के पार चला जाएगा।

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