नए सीबीआई डायरेक्टर के नाम पर गुरुवार को फैसला, पीएम की अध्यक्षता वाली समिति की बैठक में लगेगी नाम पर मुहर

सीबीआई की कमान कौन संभालेगा? यह सस्पेंस गुरुवार को खत्म होने की संभावना है। पीएम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति गुरुवार को होने वाली बैठक में सीबीआई के नए डायरेक्टर के नाम पर फैसला लेगी।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

क्या देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी को अपना नियमित बॉस गुरुवार को मिल जाएगा? यह जिज्ञासा हर किसी के मन में है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति की गुरुवार को बैठक होने वाली है, जो तय करेगी कि सीबीआई का अगला प्रमुख कौन बने। इस समिति में पीएम के अलावा देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं। समिति की की बैठक में सीबीआई के डायरेक्टर के नाम पर मुहर लग सकती है।

गौरतलब है कि पिछले साल 23 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सीवीसी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आधी रात में सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और उनके नंबर दो राकेश आस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। आलोक वर्मा ने सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। जिसके बाद वे दोबारा सीबीआई के निदेशक पद पर वापस लौट आए थे। लेकिन उनके कार्यभार संभालने के एक दिन बाद ही उन्हें हटा दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया था।

तो सवाल वही है कि आखिर कौन बनेगा सीबीआई डायरेक्टर? खबर है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से संबद्ध कार्मिक विभाग यानी डीओपीटी ने डायरेक्टर जनरल स्तर के 10 आईपीएस अफसरों में से आखिरी चार नामों की सूची तय समिति के लिए तैयार की है।

सूत्रों का कहना है कि इस संभावित सूची में जो तीन नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं उनमें 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई के पुलिस कमिश्नर सुबोध कुमार जायसवाल, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह और राष्ट्रीय जांच एजेंसी -एनआईए के प्रमुख वाई सी मोदी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की समिति इनमें से किसी एक नाम पर मुहर लगाकर दो साल के तय कार्यकाल के लिए उसे सीबीआई प्रमुख के पद पर नियुक्त करेगी।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पिछले दिनों बताया था कि डीओपीटी को दिसंबर 2018 में सीबीआई डायरेक्टर के चयन के लिए 17 अधिकारियों की सूची भेजी गई थी। इस सूची में ऐसे अधिकारियों के नाम शामिल किए गए थे, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में अनुभव, सीबीआई में पहले कार्य करने का अनुभव, काडर में सतर्कता या विजिलेंस के मामलों को निपटाने के अनुभव हो।

सीनियारिटी और भ्रष्टाचार निरोध के मामलों की जांच में अनुभव के कारण अधिकारियों की सूची में 1983 बैच की अधिकारी और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) रीना मित्रा, उत्तर प्रदेश के पुलिस डीजी ओ पी सिंह और सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल राजीव राय भटनागर के नाम शामिल हैं।

वहीं 1984 बैच के कुछ प्रमुख नामों में एनआईए प्रमुख वाई सी मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी एनएसजी के डायरेक्टर जनरल सुदीप लखटकिया, पुलिस रिसर्ज एंड डेवलपमेंट ब्यूरो के प्रमुख ए पी माहेश्वरी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलोजी एंड फॉरेंसिक साइंस के डायरेक्टर एस जावेद अहमद, बीएसएफ के डायरेक्टर जनरल रजनीकांत मिश्रा और आईटीबीपी के प्रमुख एस एस देसवाल के नाम शामिल हैं।

इसके अलावा 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और मुंबई पुलिस कमिश्नर सुबोध कुमार जायसवाल भी दावेदार हैं।

रीना मित्रा और मोदी के पास सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक शाखाओं में काम करने का लंबा अनुभव है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि सुबोध कुमार जायसवाल के नाम पर मुहर लगने की संभावना है। जायसवाल ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में रह चुके हैं और मुंबई पुलिस कमिश्नर बनने से पहले कैबिनेट सचिवालय में बतौर अतिरिक्त सचिव कार्यरत थे।

रीना मित्रा के अलावा, ओ पी सिंह और राजीव राय भटनागर 1983 बैच के अधिकारी हैं और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बैच के हैं। राकेश अस्थाना उनके खिलाफ उनकी ही एजेंसी द्वारा दाखिल एफआईआर को निरस्त करवाने की कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं

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Published: 23 Jan 2019, 7:30 AM