हिमाचल प्रदेश: जिनका कोई नहीं, उनके लिए सुक्खू सरकार, और आपदा के बीच वादे पूरे करने का जुनून

इस सप्ताह हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अपना एक साल पूरा किया। इस मौके पर सीएम सुखविंदल सिंह सुक्खू ने दोहराया कि उनकी सरकार आम लोगों की सरकार है, जिसमें महिलाओं, युवाओं, किसानों और राज्य कर्मचारियों समेत हर वर्ग को सम्मान मिल रहा है।

हिमाचल के धर्मशाला में सुक्खू सरकार के एक साल पूरा होने का कार्यक्रम किया गया (फोटो - महेन्द्र ठाकुर)
हिमाचल के धर्मशाला में सुक्खू सरकार के एक साल पूरा होने का कार्यक्रम किया गया (फोटो - महेन्द्र ठाकुर)
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महेन्द्र ठाकुर

जिनका कोई नहीं, उनके लिए सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के एक साल पूरा होने पर कांगड़ा जिले के धर्मशाला में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक अहम सूचना दी। उन्होंने बताया कि विकलांग समेत राज्य के 4,000 ऐसे बच्चों को चिल्ड्रेन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है जिनके माता-पिता नहीं हैं। ये बच्चे सरकार और एनजीओ निर्मित आवासों में रह रहे हैं। उनके लिए देश का पहला कानून बनाकर मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना की शुरुआत अक्तूबर में की गई है। इस योजना में इन बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक उनकी देखभाल, उच्च शिक्षा तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार सहायता देगी।

अपने संबंधियों के यहां रह रहे वैसे बच्चों को 4,000 रुपये प्रति माह की सहायता 27 साल की उम्र तक दी जाएगी जिनके माता-पिता नहीं हैं। सुक्खू ने यह भी कहा कि सरकार कमजोर और असुरक्षित लोगों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है और जिन अनाथ बच्चों को मासिक देखभाल की जरूरत है, उनके लिए नर्स की व्यवस्था की जाएगी। ऐसे बच्चों की देखभाल और पालन-पोषण करने के लिए ’मेट्रन’ की व्यवस्था भी की जा रही है। ऐसे बच्चों के लिए बनी योजना में वार्षिक 15 दिनों के शैक्षिक टूर की व्यवस्था भी की गई है जिनमें उनके आने-जाने, रहने-ठहरने का जिम्मा सरकार उठाएगी।

इसी कार्यक्रम में उन्होंने यह भी बताया कि वह आगे क्या-कुछ करने वाले हैं। उन्होंने जो नए वादे किए, उनमें ये बातें प्रमुख हैंः लाहौल-स्पीति जिले की 18 वर्ष से ऊपर की सभी महिलाओं को 1,500 रुपये देना, महिला पेंशन को 1,100 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये करना, दूध का खरीद मूल्य 6 रुपये प्रति लीटर बढ़ाना, गोबर खरीद योजना शुरु करना आदि। उन्होंने डेटलाइन भी फिक्स की और कहा कि ये सभी वादे जनवरी से अमल में आ जाएंगे। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अगले साल के दौरान सरकार युवाओं के लिए कम-से-कम 20 हजार रोजगार पैदा करेगी।

सरकार ने अपने घोषणा पत्र की तीन गारंटियां पूरी करने की बात भी कहीं। इनमें सबसे अहम है पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) जिसे सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में लागू कर दिया गया था। इसके अलावा स्वरोजगार के लिए ई-टैक्सी योजना का पहला चरण शुरू किया जा चुका है जिसमें युवाओं को ई-टैक्सी खरीदने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दी जा रही है।


आपदा के बीच वादे पूरे करने का जुनून

धर्मशाला में आयोजित इसी समारोह के दौरान फिर यह बात जोर-शोर से उठी कि चूंकि जनता ने भाजपा को सत्ता से हटा दिया, तो केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार राज्य की चुनी हुई सरकार के साथ किस किस्म का भेदभाव कर रही है। सुक्खू सरकार के आए हुए कुछ दिन ही हुए थे कि प्राकृतिक आपदा हुई जिसमें कम-से-कम 12,000 करोड़ का नुकसान हुआ। लोगों की जानें गईं, हजारों लोगों के घर और कई सरकारी कार्यालय गिर-बह गए, सड़कें और पुल गंभीर तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए, तैयार सेबों को बाहर नहीं भेजा जा सका।

इन्फ्रास्ट्रक्चर को पुनः पटरी पर लाने और हालात काबू करने में सरकार को करीब 4 महीने का वक्त लगा लेकिन बेहद फुर्ती और जिम्मेदारी के साथ राहत और बचाव को अंजाम देते हुए आपदा प्रभावितों को मदद पहुंचाई गई और उनके लिए विशेष योजनाएं शुरू की गईं। इसके बावजूद केन्द्र सरकार से अभी तक कोई विशेष पैकेज प्राप्त नहीं हुआ है। राज्य सरकार ने ही अपने सीमित संसाधनों से 4,500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज घोषित किया। इसके साथ ही आपदा प्रभावितों को बिजली, पानी के फ्री कनेक्शन के साथ-साथ निःशुल्क गैस सिलेंडर और घर बनाने के लिए 280 रुपये की दर से सीमेंट बोरी दी जा रही है। किराये के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 5,000 रुपये तथा शहरी क्षेत्रों में 10 हजार रुपये दिए जा रहे हैं।

आपदा राहत कार्य के लिए सरकार ने केन्द्र से विशेष पैकेज की मांग की लेकिन भाजपा ने विधानसभा तक में इस अपील का समर्थन तक नहीं किया। मुख्यमंत्री सुक्खू इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से व्यक्तिगत तौर पर मिले, फिर भी कुछ नहीं हुआ। वैसे तो, भाजपा नेता व्यक्तिगत बातचीत में सुक्खू के प्रयासों की सराहना करते हैं लेकिन सार्वजनिक तौर पर इसे नहीं स्वीकार करते।

समारोह में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि हिमाचल की पिछली भाजपा सरकार ने राज्य पर 92 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां और कर्ज छोड़ा है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी कहा कि “अगर आपदा नहीं आती तो हिमाचल प्रदेश अपने राजस्व में कम-से-कम 1,500 करोड़ रुपये का इजाफा कर सकता था। फिर भी सरकार ने वित्तीय अनुशासन में रहते हुए राज्य के वित्तीय संसाधनों में 1,100 करोड़ की वृद्धि दर्ज की है।”


बिलासपुर से 16 साल बाद कोई नेता सरकार में

हिमाचल मंत्रिमंडल में दो नए लोगों को शामिल किया गया है। इनमें बिलासपुर से राजेश धर्माणी और कांगड़ा से यादवेंद्र गोमा को मंत्री-पद की शपथ दिलाई गई है। खास बात यह है कि राजेश धर्माणी बिलासपुर से कांग्रेस के इकलौते विधायक हैं। करीब 16 साल के बाद यह पहला मौका है जब बिलासपुर से कांग्रेस विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। इससे पहले 2007 तक बिलासपुर की नयनादेवी सीट से विधायक रामलाल ठाकुर वन मंत्री रहे हैं। राजेश धर्माणी ने बीटेक और एमबीए की शिक्षा ली है। उन्होंने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत युवा कांग्रेस से की और वह राज्य कांग्रेस कमेटी में सचिव भी रहे हैं। हालांकि 2007 और 2012 में भी धर्माणी ने जीत हासिल की थी लेकिन यह पहला मौका है जब उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

दूसरे मंत्री यादवेंद्र गोमा भी बीटेक और एमबीए हैं। वह कांगड़ा जिले से विधायक चुने गए हैं। गोमा ने भी राजनीति की शुरुआत युवा कांग्रेस के साथ की थी और वह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे हैं।

हाईड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के काम में तेजी

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में ददाहू इलाके की गिरि नदी पर बन रहे हाईड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के काम में तेजी आने के साथ ही इलाके के 95 परिवारों को बेघर घोषित किया गया है। सिरमौर के जिला अधिकारी की तरफ से जारी सूची में रेणुका जी बांध के पहले चरण को पूरा करने के लिए काटली भराना पंचायत से तीन परिवारों, डेड बागर से आठ परिवारों, परारा से 17 परिवारों, लाना भाल्टा से 11 परिवारों, सेर तंदुला से 10 परिवारों, सांगरा से 32 परिवारों, बौनाल काकोगा से दो परिवारों, गवाहा से 10 परिवारों और रजाना से दो परिवारों को बेघर घोषित किया गया है।

सरकारी तौर पर कहा गया है कि इन परिवारों को दोबारा बसाने के लिए नियमों के तहत मुआवजा और अन्य मदद दी जाएगी। सरकार का कहना है कि इस परियोजना के पूरे होने से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना के तहत ददाहू में गिरि नदी पर 148 मीटर ऊंचे रॉक डैम (चट्टानों का बांध) और एक बिजलीघर का निर्माण शामिल है। परियोजना की अनुमानित लागत 6,947 करोड़ रुपये है।

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