मोदी सरकार को चाहिए सिर्फ 'यस प्राइम मिनिस्टर' कहने वाले अफसर, इसीलिए शीर्ष सचिवों को दिया जा रहा सेवा विस्तार

कैबिनेट सचिव को पहले भी सेवा विस्तार दिया गया है लेकिन किसी सचिव को, खास तौर से गृह सचिव को ऐसा विस्तार नहीं दिया गया। अपने कॅरियर के चरमोत्कर्ष पर रहने वाले ऐसे अफसरों को इससे निराशा हुई है जो इस पद के लिए चुने जाने में अपने मौके की उम्मीद कर रहे थे।

सोशल मीडिया
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राहुल गुल

केंद्र सरकार ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को सेवा विस्तार दिया है। इससे आईएएस कैडर में नाखुशी है। भल्ला असम- मेघालय कैडर के 1984 बैच के आईएएस अफसर हैं। वह अगस्त, 2019 में केंद्रीय गृह सचिव बनाए गए थे। यह पद कैबिनेट सचिव के बाद देश का सबसे शक्तिशाली नौकरशाह का माना जाता है। उन्हें 60 साल की उम्र के बाद नवंबर में रिटायर होना था। पहली बार उन्हें 22 अगस्त, 2021 तक का सेवा विस्तार दिया गया था। अब फिर सेवा विस्तार का अवसर दिया गया है। इसका मतलब है, वह 22 अगस्त, 2022 तक सेवा में रहेंगे।

इस बारे में जिन वर्तमान और रिटायर आईएएस अफसरों से बात की गई, उन सबने कहा कि सरकार जिस तरह का ‘एक्सटेंशन राज’ चला रही है, वह पक्षपात है और ऐसे अफसरों को मौके देने-जैसा है जो उन्हें अधिक आज्ञाकारी और इसके निर्देशों का अक्षरशः पालन करने वाला बनाता है। यह तरीका शीर्ष पदों पर काबिल अफसरों को अवसर देने से रोकता भी है।

इन अफसरों ने प्रशासनिक दंड के डर से अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर इस संवाददाता से बात की। 1983 बैच के यूपी कैडर के एक अफसर ने यह भी बताया कि अपने मुंह बंद रखने वाले आदेश ऐसे कुछ रिटायर्ड आईएएस अफसरों को भी दिए गए हैं जो संवैधानिक कंडक्ट ग्रुप (सीसीजी) के हिस्से हैं। यह ग्रुप नागरिकों को प्रभावित करने वाले कई प्रमुख मुद्दों पर सरकार को खुला पत्र लिखता रहा है। उन्होंने कहा कि ‘मैं उत्तराखंड कैडर की एक महिला अफसर को व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं जिनका सेवाकाल काफी उज्ज्वल रहा है और जिन्होंने ऐसे पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्हें हाल में सरकार से एक नोटिस मिला जिसमें उन्हें अपना मुंह बंद रखने को कहा गया है। वह गुस्से में थीं लेकिन सेवा से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों को कोई क्यों खोना चाहेगा।’

भल्ला को दूसरी बार सेवा विस्तार मिलने के मसले पर उन्होंने कहा कि इस शासन में सेवा विस्तार के कई उदाहरण हैं। यह मसला खास है क्योंकि इसका यह भी मतलब है कि इस पद का भी राजनीतिकरण कर दिया गया है। कैबिनेट सचिव पद पर रहे लोगों को पहले भी सेवा विस्तार दिया गया है लेकिन केंद्र में किसी सचिव को, खास तौर से गृह सचिव को ऐसा विस्तार नहीं दिया गया। अपने कॅरियर के चरमोत्कर्ष पर रहने वाले ऐसे अफसरों को इससे निराशा हुई है जो इस पद के लिए चुने जाने में अपने मौके की उम्मीद कर रहे थे। इससे युवा अफसरों, खास तौर से ऐसे लोगों को जिन्होंने अभी हाल में आईएएस ज्वायन किया हो, के बीच गलत संदेश गया है।’


एन सी सक्सेना इस बारे में एक महत्वपूर्ण बात कहते हैं। वह 1964 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अफसर रहे हैं। वह योजना आयोग और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के भी सदस्य रहे हैं। वह कहते हैं: ‘मैं अजय भल्ला के मामले के मेरिट या डीमेरिट पर टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हूं लेकिन यह सरकार वैसे अफसरों का पक्ष लेने के तौर पर जानी जाती है जो उसकी लाइन पर चलते हैं और जिनकी कोई खास विचारधारा है। वे ऐसे अफसर चाहते हैं जो यस मैन हों।’ वह कहते हैं कि ‘कैबिनेट सचिव का दो साल का निश्चित कार्यकाल होता है लेकिन गृह सचिव-जैसे अन्य सचिवों का नहीं।’ यह संयोग ही है कि इस वक्त पदस्थ कैबिनेट सचिव 1982 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अफसर राजीव गौबा को इस पद पर दो साल की सेवा के बाद 30 अगस्त, 2021 को रिटायर हो जाना था लेकिन उन्हें भी 30 अगस्त, 2022 तक इस पद पर बने रहने के लिए एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है।

सक्सेना कहते हैं कि इस तरह सेवा विस्तार देने से दूसरे काबिल अफसरों को अवसर नहीं मिलते हैं। वैसे, वह यह भी कहते हैं कि लंबा सेवा काल अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘कुशल प्रशासन माने जाने वाले सिंगापुर में उच्च स्तरीय नौकरशाहों की सेवा अवधि छह से सात साल तक होती है। लेकिन अपने यहां दूसरी व्यवस्था है और उसका सम्मान किया जाना चाहिए।’

1965 बैच के रिटायर्ड बिहार कैडर अफसर डॉ. अशोक पांडेय ने बहुत सतर्कतापूर्वक कहा कि ‘आम तौर पर, इस तरह सेवा विस्तार देना मुझे अच्छी चीज नहीं लगती लेकिन मैं इस खास मामले को लेकर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।’ पूर्वोत्तर में एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र प्रशासित) कैडर के एक आईएएस अधिकारीने सीधे-सीधे कहा कि ‘यह सरकार चापलूस अफसर चाहती है। आज के अफसर तो ऐसे हैं जिन्हें झुकने को कहा जाए, तो वे रेंगने लगते हैं।’


उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस तरह संजय कुमार मिश्र को प्रवर्तन निदेशक बनाने के मामले में हुआ, कोई व्यक्ति इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। मिश्र को मई, 2020 में रिटायर हो जाना था लेकिन इस पद पर दो साल के नियम की वजह से उनका सेवाकाल नवंबर, 2020 में पूरा हो रहा था। सरकार ने उन्हें पिछली तिथि से तीन साल का सेवा विस्तार दे दिया। एनजीओ कॉमन कॉज मिश्र के मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गया है जहां इसकी सुनवाई हो रही है।

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