आखिर कैसे ढह गया 'आप' का किला: यह हैं कुछ कारण जिनसे डूबी केजरीवाल की नैया

दिल्ली चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि केजरीवाल की राजनीति अपने आखिरी पड़ाव पर है और उनकी पार्टी का अस्तित्व खतरे में आ गया है। आखिर क्या कारण हैं कि तीन बार प्रचंड चुनावी जीत के बाद उसकी नैया डूब गई।

फोटो : Getty Images
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हैदर अली खान

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) का पतन शुरू हो गया है। 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने 67 सीटें जीती थीं। फिर जब 2020 में विधानसभा चुनाव हुए तो उसे 62 सीटें मिलीं और अब 2025 में उसे 25 सीटें भी नहीं मिल पाईं और वह बहुमत के जादुई आंकड़े 36 से काफी दूर है। अब राजनीतिक विशेषज्ञ यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आप की इस हालत के क्या कारण हो सकते हैं। मोटे तौर पर गौर करें तो ये कुछ कारण हो सकते हैं:

भ्रष्टाचार के खिलाफ बनी पार्टी खुद भ्रष्टाचार में डूबी

अरविंद केजरीवाल की पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से उभरी हुई पार्टी है। लेकिन 10 साल सत्ता में रहते हुए ही पार्टी के शीर्ष नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। आबकारी घोटाले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को जेल जाना पड़ा। पार्टी उसपर लगे गंभीर आरोपों की सही सफाई नहीं दे पाई। इसके अलावा सीएजी (कैग) की रिपोर्ट में आप पर अस्पतालों के निर्माण आदि में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया। कैग रिपोर्ट पर चर्चा करने के बजाय आप ने उसे नजरअंदाज करने की कोशिश की। नतीजा यह हुआ कि पूरे चुनाव में भ्रष्टाचार के खिलाफ अस्तित्व में आई पार्टी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही।

शराब घोटाले से डूबी लुटिया

दिल्ली में शराब घोटाले को लेकर काफी चर्चा थी। आप पर आबकारी नीति में धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए रिश्वत में लेना का आरोप लगाया गया। शराब मुद्दे को कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी ने भी खूब प्रचारित किया। आप इस आरोप का जवाब नहीं दे सकी। चूंकि अदालत ने आप नेताओं को सशर्त जमानत दी थी, इसलिए वे इस मामले पर खुलकर बात तक नहीं कर पाए।

मुफ्त योजनाओं में बीजेपी ने लगा दी सेंध

दरअसल केजरीवाल को सिर्फ उन वोटरों के आधार पर ही जीत का भरोसा था जो उनकी सरकार की मुफ्त रेवड़ियों वाली योजनाओं के लाभार्थी थे। बीते दो चुनाव के दौरान केजरीवाल मुफ्त बिजली और पानी के जरिए अपनी राजनीति आगे बढ़ाते रहे। ये लाभार्थी मध्यम एवं निम्न वर्ग से थे। दिल्ली चुनाव से पहले बीजेपी ने इन मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जनसभा में और पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सार्वजनिक तौर पर ऐलान कर दिया कि लोगों के लाभ वाली कोई भी योजना बंद नहीं की जाएगी। उधर मध्य वर्ग को साधने के लिए केंद्र सरकार ने आम बजट में 12 लाख रुपए तक की आमदनी को टैक्स फ्री कर दिल्ली के इस बड़े वोटरबेस को साधने में कामयाबी हासिल की।


मुस्लिम और दलित वोटर ने बनाई दूरी

पिछले दो चुनावों में आप को मुस्लिम और दलित बहुल इलाकों में बड़ी सफलता मिली थी, लेकिन इस बार ये मतदाता दोनों क्षेत्रों में आप से दूर होते दिखे। दरअसल, जब भी दिल्ली में मुसलमानों को मुश्किल वक्त का सामना करना पड़ा, आप उनके साथ खड़ी होने के बजाय चुप रही। इसका नतीजा यह हुआ कि मुसलमानों ने एकतरफा तौर पर आप का समर्थन नहीं किया। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप करीबी मुकाबलों में आप उम्मीदवारों की हार हुई।

सड़क और साफ पानी का अधूरा वादा

दिल्ली में सड़कें और साफ पीने का पानी एक बड़ा मुद्दा था। आप ने एमसीडी चुनाव जीतने के बाद सड़क और साफ पानी का वादा किया था, लेकिन वह इन वादों को पूरा करने में नाकाम रही। सशर्त जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद आप प्रमुख केजरीवाल ने सड़क समस्या का समाधान करने का वादा किया था, लेकिन वे इसे पूरा नहीं कर पाए।

कांग्रेस से गठबंधन न करने का नुकसान

दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने का अच्छा खासा नुकसान आप को उठाना पड़ा है और कई सीटों पर उसका खेल बिगड़ा है। कांग्रेस को इस चुनाव में पिछली बार की तुलना में काफी अधिक वोट मिले हैं। वहीं आप उम्मीदवार उन अधिकांश सीटों पर हार गये जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में थी। कांग्रेस के अलावा असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी आप को कुछ नुकसान पहुंचाया। एआईएमआईएम ने दिल्ली की दो विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। हालांकि उसके दोनों उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज कर पाए।

पुराने वादे अधूरे थे, तो नए वादे पर नहीं हुआ भरोसा

आप ने महिलाओं को आकर्षित करने के लिए 2100 रुपये प्रति माह देने का वादा किया, जो पूरे चुनाव में आप द्वारा किया गया एकमात्र बड़ा वादा था। जनता को इस वादे पर विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि पहले किए गए कुछ वादे केजरीवाल पूरे नहीं कर पाए और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसे स्वीकार भी किया। इनमें साफ पानी, नए कॉलेज और यमुना को साफ करना अहम थे।

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