मणिपुर में अब कैसे हैं हालात? चप्पे-चप्पे पर जवान तैनात, इंटरनेट-ट्रेन सेवा बंद, हिंसा फैलाने वालों पर पैनी नजर

मणिपुर में हिंसा के बाद भारतीय सेना अलर्ट मोड पर है। सेना ने राज्य में सुरक्षा स्थिति से संबंधित फर्जी वीडियो को लेकर लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है।

फोटो:: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मणिपुर इस समय सुलग रहा है। यहां भड़की हिंसा के बाद स्थिति को सामान्य करने के लिए भारी संख्या में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है। खबरों के मुताबिक, मोरेह और कांगपोकपी में तो स्थिति नियंत्रण में है और हालात स्थिर हैं, लेकिन अभी इंफाल और सीसीपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। साथ ही भारतीय सेना भी अलर्ट मोड पर है। सेना ने राज्य में सुरक्षा स्थिति से संबंधित फर्जी वीडियो को लेकर लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है।

अलर्ट मोड पर सेना

सेना ने नागरिकों से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों की खबरों पर भरोसा करने की अपील की है। यहां हिंसक भीड़ ने कई घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों को आग के हवाले कर दिया लोगों है।

लोगों से भारतीय सेना की अपील

SpearCorps.IndianArmy ने ट्वीट किया,  "असम राइफल्स पोस्ट पर हमले के वीडियो सहित मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर फर्जी वीडियो को शत्रुतापूर्ण तत्वों की तरफ से निहित स्वार्थों के लिए शेयर किया जा रहा है। भारतीय सेना सभी से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों के माध्यम से दी जाने वाली खबरों पर भरोसा करने का अनुरोध करती है। 


इंटरनेट और ट्रेन सेवा पर लगी रोक

मणिपुर में अतिरिक्त सैनिकों की एहतियाती तैयारी जारी है। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को फिलहाल के लिए रोक दिया है। एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने कहा, ‘स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं कर रही है। मणिपुर सरकार द्वारा ट्रेन की आवाजाही रोकने की सलाह के बाद यह निर्णय लिया गया है।’

दूसरी ओर मोबाइल डेटा के बाद अब मणिपुर में ब्रॉडबैंड सेवाएं भी निलंबित हैं। सरकार ने रिलायंस जियो फाइबर, एयरटेल एक्सट्रीम, BSNL आदि को हिंसा और अफवाह फैलाने के लिए ब्रॉडबैंड और डेटा सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है।

दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश

नगालैंड से भी अतिरिक्त जवानों को फिर से मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में तैनात किया गया है।मणिपुर के 16 में से 8 जिलों में कर्फ्यू है। सरकार ने सुरक्षाबलों को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है।  मणिपुर के राज्यपाल की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘समझाने और चेतावनी के बावजूद स्थिति काबू में नहीं आने पर देखते ही गोली मारने की कार्रवाई की जा सकती है।’


बवाल की वजह क्या है?

मैतेई समुदाय की आबादी यहां 53 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन वो सिर्फ घाटी में बस सकते हैं। वहीं, नागा और कुकी समुदाय की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और वो पहाड़ी इलाकों में बसे हैं, जो राज्य का 90 फीसदी इलाका है। मणिपुर में एक कानून है। जिसके मुताबिक, आदिवासियों के लिए कुछ खास प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत, पहाड़ी इलाकों में सिर्फ आदिवासी ही बस सकते हैं। चूंकि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए वो पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते। जबकि, नागा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय चाहें तो घाटी वाले इलाकों में जाकर रह सकते हैं। मैतेई और नागा-कुकी के बीच विवाद की यही असल वजह मानी जा रही है, इसलिए मैतेई ने भी खुद को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की मांग की थी।

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