कैसे हुई एयर स्ट्राइक, 25 मिनट में कैसे मिट्टी में मिल गए आतंकी ठिकाने, कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका ने बताया
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शिकार मासूम भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए लॉन्च किया गया।

भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में की गई एयर स्ट्राइक के बाद विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। विदेश सचिव विक्रम मिस्री, आर्मी अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी और नेवी अफसर विंग कमांडर व्योमिका ने पूरे ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी। आर्मी अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी और नेवी अफसर विंग कमांडर व्योमिका ने बताया कैसे बीती रात 1:05 से 1:30 बेज के बीच, यानी 25 मिनट में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शिकार मासूम भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए लॉन्च किया गया। इस कार्रवाई में 9 आतंकवादी ठिकानों को टारगेट किया गया और पूरी तरह से इन्हें तबाह कर दिया गया।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा, पाकिस्तान में पिछले तीन दशकों से टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। इसमें रिक्रूटमेंट सेंटर, ट्रेनिंग एरिया और लॉन्च पैड सेंटर शामिल थे। पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिक्रित कश्मीर में फैले हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि एरस स्ट्राइक के दौरान इन लक्ष्यों का चयन विश्वसनीय इंटेलिजेंस सूचनाओं के आधार पर हुआ। ताकि आतंकी गतिविधियों की रीढ़ तोड़ी जा सके। इस ऑपरेशन के दौरान यह खास ध्यान दिया गया कि इस दौरान निर्दोष लोगों और सिविलियन्स को कोई नुकसान ना पहुंचे।
आर्मी अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी और नेवी अफसर विंग कमांडर व्योमिका ने पूरे ऑपरेशन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीती रात कैसे पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों को महज 25 मिनट के भीतर बिना पाकिस्तान में घुसे मिट्टी में मिला दिया।
PoK में इन जगहों को बनाया गया निशाना:
सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद
यह लश्कर-ए-तैय्यबा का ट्रेंनिंग सेंटर था। पहलगाम हमलों समेत कई आतंकी हमले में शामिल आतंकियों ने यहीं से ट्रेनिंग ली थी।
सैय्यदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद
यह जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है। यह हथियार, विस्फोटक और ट्रेनिंग केंद्र था।
गुलपुर कैंप, कोटली
यह एलओसी से 30 किलोमीटर दूर था। लश्कर-ए-तैय्यबा का यह बेस था। यह सेंटर रजौरी और पुंछ में सक्रिय था। 20 अप्रैल 2023 को पुंछ में जो हमला हुआ था और 9 जून को तीर्थ यात्रियों के बस पर हुए हमले में जो आतंकी शमिल थे, उन्हें यहीं ट्रेनिंग दी गई थी।
बरनाला कैंप, भीमबर
यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है। यहां से हथियार हैंडलिंग, आईईडी और जंगल सर्वाइवल का ट्रेनिंग केंद्र था।
अब्बास कैंप, कोटली
यह एलओसी 13 किलोमीटर दूर है। लश्कर-ए-तैय्यबा के फीदायीन यहां तैयार किए जाते थे। यहां कि कैपिसिटी 15 आतंकियों को ट्रेन करने की थी।
पाकिस्तान के अंदर इन जगहों पर एयर स्ट्राइक
सरजल कैंप, सियालकोट
यह अंतराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 4 जवानों की जो हत्या की गई थी। जो आतंकी इसमें शामिल थे, उन्हें यहीं पर ट्रेनिंग दी गई थी।
महमूना जोया कैंप, सियालकोट
यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 12 से 18 किलोमीटर दूर था। यहां जिबुलमुजाहिद्दीन का बहुंत बड़ा कैंप था। यह जम्मू के कठुया क्षेत्र में आतंक फैलाने का नियंत्र केंद्र था। पठानकोट एयरबेस पर किया गया हमला भी इसी कैंप से प्लान और डायरेक्ट किया गया था।
मरकज तैयबा मुरीदके
यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 25 किलोमीटर की दूरी पर है। 2008 के मुंबई हमले के आतंकियों को भी यहीं से ट्रेनिंग दी गई थी। अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं पर ट्रेनिंग दी गई थी।
मरकज सुबहानअल्लाह, बहावलपुर
यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर है। यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था। यहां पर आतंकियों की भर्ती की जाती थी, साथ यहीं पर ट्रेनिंग भी दी जाती थी।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रसे से बात करते हुए कहा, 22 अप्रैल 2025 को लश्कर-ए-तैय्यबा से संबंधित पाकिस्तानी और पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में भारतीय सैलानियों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया। इस हमले में 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई। मुंबई के 26 नवंबर 2008 हमलो के बाद यह भारत में हुई किसी भी आतंकवादी हमले में मारे गए आम नागरिकों की संख्या कि दृष्टि से सबसे गंभीर घटना है।
उन्होंने कहा कि पहलगाम का हमला अत्यधिक बर्बरतापूर्ण था। इस हमले में वहां मौजूद लोगों को करीब से और उनके परिवारों के सामने सिर पर गोली मारी गई। हत्या के इस तरीके से परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया। साथ ही उन्हें यह नसीहत दी गई कि वे वापस जाकर इस संदेश को पहुंचा दें। यह हमला स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के मकसद से किया गया था। क्योंकि पर्यटन फिर से अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन रहा था। इस हमले का मुख्य मकसद इसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित करना था।
विदेश सचिव ने कहा कि पिछले साल सवा दो करोड़ से अधिक सैलानी कश्मीर आए थे। इस हमले का मुख्य मकसद संभवत: यह था कि इस संघ राज्य प्रदेश में विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर इसे पिछड़ा बनाए रखा जाए। पाकिस्तान से लगातार होने वाले सीमा पार आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन बनाए जाने में सहायता की जाए। हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर और शेष राष्ट्र दोनों में सांप्रदायिक दंगे भड़काने से भी प्रेरित था। इसका श्रेय सरकार और भारत के सभी नागरिकों को दिया जाना चाहिए कि इन प्रयासों को विफल कर दिया गया।
उन्होंने बताया कि एक समूह ने खुद को टीआरएफ कहते हुए पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है। यह समूह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तान आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमेटी की सैंक्संस मॉनिटरिंग टीम को अर्धवार्षिक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें टीआरएफ के बारे में साफ इंपुट दिए गए थे। इससे पाकिस्तान स्थिति आतंकवादी समूहों के लिए कवर के रूप में टीआरएफ की भूमिका सामने आई थी। इससे पहले दिसंबर 2023 में भारत ने इस टीम को लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मौहम्मद के बार में सूचित किया था, जो टीआरएफ जैसे छोटे आतंकवादी समूहों के माध्यम से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। इस संबंध में 25 अप्रैल को यूएन सेक्यूरिटी काउंसिल प्रेस वक्तव्य में टीआरएफ के संदर्भ को हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
विदेश सचिव ने कह कि यह स्वभाविक है कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ भारत के अन्य हिस्सों में भी गुस्सा देखा गया। हमलों के बाद भारत ने स्वभाविक रूप से पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर कुछ कदम उठाए गए। आप सभी उन फैसलों से अवगत हैं, जिसकी घोषणा 23 अप्रैल को की गई थी। ऐसे में यह जरूरी समझा गया पहलगाम हमले के अपराधियों और उनके योजनाकारों को न्याय के कठघरे में लाया जाए। हमलों के एक हफ्ते के बाद भी पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकिवादियों के इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया। उल्टे वह इनकार करने और आरोप लगाने में ही लिप्त रहा है।
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Published: 07 May 2025, 12:37 PM