इसे ‘सुशासन बाबू’ के राज में जंगलराज की वापसी नहीं तो और क्‍या कहेंगे ?

सुशासन बाबू के राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह फेल होती नजर आ रही है। एक के बाद एक हो रही हत्याओं से राज्य की लचर होती जा रही कानून व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

बिहार में लगातार हो रही हत्याएं और ट्रेनों में डकैती से अब सवाल उठने लगे है कि क्या सुशासन बाबू के राज में जंगलराज की वापसी हो गई है? क्या एक बार फिर से बिहार में अपराधियों में बोलबाला हो गया है? यह सवाल उठना इसलिए लाजिमी है कि पिछले दो महीनों में अनगिनत हत्याएं हुई है। इसके अलावा कई डकैती को भी अंजाम दिया गया। ताजा मामला बिहार के लखीसराय के पास कहा है। जहां बुधवार की देर रात कानून-व्यवस्था को धत्ता बताते हुए 15 नकाबपोश बदमाशों ने चलती ट्रेन में जमकर उत्पात मचाया। बंदूक के नोक पर बदमाशों ने 3 एसी बोगी और एक स्लीपर के करीब 200 यात्रियों लूटपाट की और विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई।

खबरों के मुताबिक, बदमाशों ने यात्रियों से मोबाइल, लैपटॉप, गहने और कैश सब कुछ छीन लिए। इस मामले में जमालपुर में एफआईआर दर्ज कराई गई है। लेकिन हर बार की तरह इस मामले में भी पुलिस अभी तक बदमाशों को पकड़ नहीं पायी है। यह कोई पहली घटना नहीं है जिस पर हाय तौब्बा मचा हुआ है। आंकड़ों को देखें तो पिछले महीने बेलगाम अपराधी ने कई हत्याओं को अंजाम दे चुके हैं।

9 जनवरी की रात को पूर्वी चम्पारण जिला के मनकररिया पंचायत में अपराधियों ने गांव पर हमला बोलकर 5 घरों में भीषण डकैती की घटना को अंजाम दिया। अब बात करते है पिछले दिनों में हुई हत्याओं की।

3 जनवरी: समस्तीपुर जिले के सरायरंजन थाना इलाके में बदमाशों ने घर में घुसकर भारतीय जीवन बीमा निगम के एक एजेंट की गोली मारकर हत्या कर दी थी और मौके से फरार हो गए थे। हत्या के कारणों का अब तक पता नहीं चल सका है।

2 जनवरी: नालंदा के दीपनगर पुलिस थाना इलाके में आरजेडी के एक स्थानीय नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद स्थानीय लोग भड़क गए थे और आरोपी के घर को आग के हवाले कर दिया था।

30 दिसंबर: औरंगाबाद जिले के देव थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने देर रात जमकर उत्पात मचाया था। इस दौरान सशस्त्र नक्सलियों ने कम से कम 6 वाहनों को फूंक दिया था और एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इतना ही नक्सलियों ने एक सामुदायिक भवन को भी विस्फोट कर उड़ा दिया था। इसके बावजूद अब तक नीतीश सरकार की पुलिस अब तक उन्हें पकड़ नहीं पायी है।

27 दिसंबर: वैशाली के जंदाहा थाना क्षेत्र में बदमाशों ने पूर्व सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना में व्यवसायी के चाचा भी घायल हो गए थे।

25 दिसंबर: देर रात पटना के ट्रांसपोर्टर दीनानाथ की भी बदमाशों ने हाजीपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

22 दिसंबर: दरभंगा में राष्ट्रीय राजमार्ग-57 निर्माण कार्य में लगे ठेकेदार केपी शाही की हत्या कर दी गई थी।

20 दिसंबर: अपराधियों ने बीजेपी नेता और पटना के बड़े कारोबारी गुंजन खेमका को मार दिया था।

21 दिसंबर: मुजफ्फरपुर में अपराधियों ने ठेकेदार लड्डू सिंह को मौत के घाट उतार दिया था। इसी दिन बेगूसराय में महेश सिंह नाम के एक प्रॉपर्टी डीलर की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

5 दिसंबर: राजधानी पटना में अपराधियों ने पटना हाईकोर्ट के वकील जितेंद्र कुमार मार दिया था।

28 अक्टूबर: नालंदा के बागन बिगहा में पीएमएस कॉलेज के प्रोफेसर अरविंद कुमार की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सबुह प्रोफेसर टहलने के लिए निकले थे। इसी दौरान बदमाशों ने उन्हें एलीट होटल के पास गोली मार दी थी, जिसमें उनकी मौत हो गई थी।

लगातार हो रही इन आपराधिक घटनाओं से राज्य के लोगों में दहशत का माहौल है। कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा था कि “आखिर कब तक बिहार के व्यापारी, किसान और नौजवान अपराधियों की गोलियों का शिकार होते रहेंगे? आपके शराबबंदी और बालूबंदी के हैंगओवर ने बिहार को बर्बाद कर दिया है। राजधर्म गिरवी रख आपने थानों की नीलामी कर प्रशासन का इकबाल और ईमान भी बेच दिया है। आखिर,कब तक चुप रहियेगा?” इन सब के बावजूद अपराधिक घटनाओं पर फिलहाल लगाम लगता दिखाई नहीं दे रहा है।

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Published: 10 Jan 2019, 5:02 PM
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