संसद में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आएगा महाभियोग प्रस्ताव, रिजिजू सभी राजनीतिक दलों से करेंगे चर्चा

मार्च में दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद बड़ी मात्रा में अधजली हालत में नकदी मिली थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीन न्यायाधीशों की समिति का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था।

संसद में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आएगा महाभियोग प्रस्ताव, रिजिजू सभी राजनीतिक दलों से करेंगे चर्चा
संसद में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आएगा महाभियोग प्रस्ताव, रिजिजू सभी राजनीतिक दलों से करेंगे चर्चा
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नवजीवन डेस्क

संसद के आगामी मानसून सत्र में केंद्र सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगी। सरकार के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस मामले को लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से चर्चा करेंगे, ताकि उन्हें तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की न्यायाधीश के खिलाफ सौंपी गई रिपोर्ट के बाद उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के लिए राजी किया जा सके।

यह कदम मार्च में दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद उठाया गया है, जिसमें बड़ी मात्रा में अधजली हालत में नकदी बरामद की गई थी। घटना मार्च की है, जब दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास के बाहरी हिस्से में आग लग गई थी। नोट की गड्डियों के बारे में खुलासा आग बुझाने के लिए पहुंचे अग्निशमन दल ने किया था। इसका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। इसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उन्होंने आरोपों से इनकार किया और उसे साजिश बताया था।


इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को एक आंतरिक जांच शुरू की और न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों का पैनल भी बनाया। इस समिति में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन को शामिल किया गया।

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था। विवाद के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए गए न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को समिति की रिपोर्ट भेजते हुए पत्र लिखा था।

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