मथुरा भूमि विवाद में अहम दिन, हाईकोर्ट में 18 याचिकाओं पर आज एक साथ होगी सुनवाई

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हम कोर्ट से निष्पक्ष और त्वरित निर्णय की अपेक्षा रखते हैं। यह सिर्फ आस्था का सवाल नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सच्चाई से जुड़ा मसला है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े बहुचर्चित विवाद में आज एक अहम पड़ाव आने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोपहर 2 बजे के बाद इस प्रकरण में सुनवाई शुरू होगी, जिसमें 18 अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ विचार किया जाएगा। यह सुनवाई देश के धार्मिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को प्रभावित करने वाले इस विवाद की दिशा तय कर सकती है।

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह, जो इस मुद्दे में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने बताया कि यह सुनवाई कई संवेदनशील और कानूनी बिंदुओं को स्पष्ट कर सकती है। उनका आरोप है कि मुस्लिम पक्ष इस मामले को अनावश्यक रूप से खींचने का प्रयास कर रहा है।

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, "हम कोर्ट से निष्पक्ष और त्वरित निर्णय की अपेक्षा रखते हैं। यह सिर्फ आस्था का सवाल नहीं, बल्कि ऐतिहासिक सच्चाई से जुड़ा मसला है।"

विवाद की जड़ क्या है?

मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान को लेकर विवाद सदियों पुराना है। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद, मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में केशवदेव मंदिर को तोड़कर उसी स्थान पर बनाई गई थी। उनका यह भी कहना है कि वर्तमान स्थल ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थल है।

वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को ऐतिहासिक और कानूनी दृष्टिकोण से खारिज करता है और मस्जिद की वैधता पर जोर देता है। इस विवाद में पूजा-अधिकार, संपत्ति स्वामित्व, पुरातात्विक जांच जैसे कई कानूनी पहलू शामिल हैं।


कोर्ट में क्या-क्या मुद्दे उठ सकते हैं?

  • जन्मभूमि पर स्वामित्व का दावा

  • ‘हिंदू चेतना यात्रा’ पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति

  • पूजा-अधिकारों को लेकर स्पष्टता

  • ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से पुरातात्विक जांच की मांग

  • 1968 में हुए समझौते की वैधता

आज की सुनवाई में इनमें से कुछ या सभी मुद्दों पर चर्चा की संभावना जताई जा रही है। दोनों पक्ष अब अपने दावे अदालत में प्रमाणों के साथ पेश करने को तैयार हैं।

क्यों है यह मामला संवेदनशील?

यह मामला केवल दो धार्मिक स्थलों का विवाद नहीं है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक स्मृतियों और धार्मिक सहिष्णुता से भी जुड़ा है। कोर्ट के फैसले का प्रभाव कानूनी व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द पर भी पड़ेगा।