इस घड़ी में आर्थिक पैकेज जीवित रहने के लिए जरूरी, केंद्र जल्द करे विचारः भूपेश बघेल 

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि कोरोना जांच के बारे में केंद्र का निर्देश केवल उनकी जांच का है, जिनमें लक्षण हैं। लेकिन ऐसे भी लोग हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखता और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। सरकार को अधिक जांच किट देने चाहिए, ताकि और परीक्षण किए जा सकें।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साल 2018 के विधानसभा चुनावों में राज्य में बीजेपी की 15 साल की सत्ता का अंत किया था, जिसके बाद से वह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के एक पसंदीदा नेता के रूप में उभरे हैं। उन्हें पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सुझाई गई सभी परियोजनाओं को लागू करने का श्रेय दिया जाता है। एक ओबीसी नेता के रूप में वह कई राज्यों में पार्टी के अभियानों में सबसे आगे रहे हैं। इस बीच पूरी दुनिया पर छाए कोरोना वायरस महामारी के संकट ने उनके सामने भी एक चुनौती पेश की है और सभी राज्यों की तरह ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था भी सुस्त है। वहीं दूसरी तरफ नक्सलवाद अभी भी राज्य की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है।

इस खास इंटरव्यू में सीएम भूपेश बघेल ने बताया कि कैसे उन्होंने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने और प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र इस स्तर पर राज्य की मदद नहीं करता है, तो सरकार को कर्मचारियों को वेतन देने में समस्या होगी। वह एक विशेष आर्थिक पैकेज भी चाहते हैं और कहते हैं कि जीवित रहने के लिए यह महत्वपूर्ण है। बघेल ने हालांकि देशव्यापी बंद का समर्थन भी किया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य भविष्य में भी केंद्र के ऐसे सभी फैसलों का पालन करेगा। बघेल ने आईएएनएस के साथ साक्षात्कार में कई महत्वपूर्ण बातें साझा की। पेश है साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश:

आपने राजस्थान के कोटा से छत्तीसगढ़ के छात्रों को वापस लाने का फैसला किया है। कितने छात्र हैं और आप उन्हें कैसे वापस लाएंगे?

कोटा से छात्रों को लाने के लिए हमें केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है। एक सूची के अनुसार, जो हमें सभी जिलों से मिली है, छत्तीसगढ़ के वहां 1,500 छात्र हैं। हमने डॉक्टरों और अधिकारियों की एक टीम के साथ 75 बसें भेजी हैं, क्योंकि उन्हें कम से कम तीन राज्यों को पार करना है। मैंने केंद्र सरकार से इन बसों को अनुमति देने का अनुरोध किया है। सहमति का इंतजार है।

आपने उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान को पत्र लिखा है। कोई खास वजह?

छत्तीसगढ़ को देश का धान का कटोरा कहा जाता है। राज्य में सालाना 83 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान का उत्पादन होता है। खरीद योजना के अनुसार, 1,800 रुपये प्रति क्विंटल केंद्र सरकार और शेष राज्य द्वारा साझा किया जाता है। मैंने पासवानजी को केंद्रीय पूल का धान उठाने के लिए एक अनुस्मारक (रिमाइंडर) भेजा है। केंद्र ने कहा है कि वह केवल 24 लाख मीट्रिक टन ही उठाएगा। हालांकि हमारे पास पीडीएस का हिस्सा घटाने के बाद पहले से ही 31 लाख 11 हजार टन का स्टॉक है। इसलिए हम चाहते हैं कि केंद्र सभी शेष स्टॉक को उठा ले।

एमएसपी पर बोनस को लेकर राज्य और केंद्र के बीच टकराव है। इस बार क्या आप बोनस या केंद्र की लागत वहन करेंगे?

पिछले साल आम चुनाव हुआ था। केंद्र सरकार ने राज्यों को अपने खजाने से बोनस देने के लिए दो साल की अनुमति दी। हमने बोनस सहित 2,500 रुपये प्रति क्विंटल दिया, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा कि अगर राज्य बोनस देते हैं, तो वह उनके लिए खरीद नहीं करेगा। मुद्दा यह है कि हम केंद्र सरकार की ओर से खरीद कर रहे हैं, एक समय था जब केंद्र ने राज्यों पर केंद्रीय पूल में अधिक खाद्यान्न साझा करने के लिए दबाव डाला था। लेकिन हरित क्रांति के बाद किसान अपने प्रयासों से अधिक उपज प्राप्त कर रहे हैं। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने कहा कि खरीद उन राज्यों से नहीं की जाएगी, जो बोनस देंगे। इसलिए हम राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत बोनस का भुगतान कर रहे हैं।

आप कोविड-19 को कैसे नियंत्रित कर रहे हैं? राज्य पर क्या असर पड़ा है? आपने अंतरराज्यीय परिवहन पर लगे प्रतिबंध के मुद्दे पर एक पत्र लिखा है।

अभी वायरस का कोई इलाज नहीं है, इसलिए इसकी रोकथाम ही सबसे अच्छा इलाज है। पहली चीज जो हमने की, वो यह थी कि हमने राज्य में सभी परिवहन बंद कर दिए। छत्तीसगढ़ सात राज्यों के साथ सीमाओं को साझा करता है। हमें इसका फायदा हुआ है। हमने उन सभी लोगों को एकांतवास में कर दिया, जो विदेश में थे और उनके संपर्कों का पता लगाकर उन्हें भी अलग कर दिया। अगर हमने कोई भी मामला (कोरोना) दर्ज किया, तो हमने तुरंत उक्त इलाके को पूरी तरह से सील कर दिया। पहले राज्य की सीमाओं को जिलों के साथ सील कर दिया गया और फिर लोगों ने अपने गांवों के रास्तों को स्वयं ही बंद कर दिया।

क्या आप लॉकडाउन का विस्तार करने या इसे चरणों में खोलने के पक्ष में हैं?

भारत की सरकार जो भी फैसला करेगी, हम उसका पालन करेंगे। लेकिन मैंने कहा है कि छात्रों और प्रवासियों को वापस लाया जाना चाहिए। कई लोग हैं, जो अलग-अलग कारणों से फंस गए हैं। हमारे राज्य में भी अन्य राज्यों के लोग फंस गए हैं। उन्हें अपने संबंधित स्थानों पर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए और अगर राज्य चाहते हैं, तो उन्हें एकांतवास में रखा जा सकता है।

आपकी सोमवार को प्रधानमंत्री के साथ बैठक है। क्या आपको अपने जीएसटी का हिस्सा मिला है या आप संसाधनों को लेकर समस्या का सामना कर रहे हैं?

हमें अपने 2,000 करोड़ रुपये के हिस्से में से 1,500 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन कोई आर्थिक गतिविधि नहीं है। रजिस्ट्री से लेकर परिवहन, खदानों और शराब की बिक्री तक, सब कुछ रुक गया है। राज्यों के पास कोई राजस्व नहीं है और अगर चीजें इसी तरह से चलती हैं तो हम कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पाएंगे।

आईसीएमआर ने परीक्षण किट देना शुरू कर दिया है क्या राज्य को पर्याप्त संख्या में परीक्षण किट मिल गई हैं?

परीक्षण के बारे में केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश हैं कि हमें उन लोगों का परीक्षण करना होगा, जिनमें लक्षण हैं। लेकिन ऐसे भी लोग हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहा और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। सरकार को और किट उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि और परीक्षण किए जा सकें। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट भी प्रदान की जानी चाहिए। एहतियात के तौर पर हमने बंद की घोषणा से पहले ही सभी बाजारों और सार्वजनिक स्थानों को बंद कर दिया था और लोगों से कहा था कि वे शारीरिक दूरी बनाए रखें।

राज्य में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। लॉकडाउन को लागू करने के लिए आपको किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?

राज्य की जनजातीय बेल्ट में लॉकडाउन को लागू करना सबसे आसान है। अगर आप बस्तर के बारे में बात करें, जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से घिरा हुआ है, आदिवासियों ने अत्यंत सावधानी बरती और किसी को भी गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी और जो लोग अन्य राज्यों से लौटे थे, उन्हें भोजन और आश्रय दिया गया मगर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।

तालाबंदी के दौरान आपको नक्सलियों से चुनौतियों का सामना कैसे करना पड़ा? वे कुछ गतिविधियों में कामयाब रहे हैं।

सबसे पहले उन्होंने कहा कि वे युद्ध विराम का पालन करेंगे। मगर उन्होंने इसकी अवहेलना की। हमारे सुरक्षा बल सतर्क हैं। लेकिन हमें आदिवासियों से शिकायतें मिली हैं कि वे सरकार द्वारा आदिवासियों को दिए जाने वाले चावल और अन्य खाद्यान छीन रहे हैं।

सोमवार को होने वाली प्रधानमंत्री की बैठक में, आपकी क्या योजना है? कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों द्वारा दिए गए सुझावों को नहीं सुना गया, क्योंकि सोनिया गांधी ने इस पर कहा है।

यह प्रधानमंत्री पर निर्भर करेगा कि वह किस एजेंडे के साथ आने वाले हैं और वह किससे सलाह लेना चाहते हैं। अगर मुझे मौका मिलता है तो मैं बोलूंगा, अन्यथा मैं अपने सुझाव लिखित रूप में पेश करूंगा। पिछली बार मैंने कुछ मुद्दों को उठाया था, जैसे कि प्रवासियों और एमएसएमई क्षेत्र की समस्याएं और एमएसएमई के लिए एक विशेष पैकेज की मांग करना। क्योंकि उद्योग और व्यापार दोनों ही खराब स्थिति में हैं। मैंने अनुरोध किया है कि बैंक ऋणों की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि व्यापार पटरी पर लौटे।

आपके राज्य ने एक टीवी संपादक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और अब शीर्ष अदालत ने इस पर रोक लगा दी है। क्या आप आगे बढ़कर कार्रवाई करेंगे?

मैंने अभी तक वकीलों से बात नहीं की है। मैं उनसे बात करूंगा और उसके अनुसार फैसला लूंगा। सब कुछ संविधान के अनुसार किया जाएगा।

मुझे बताया गया है कि कोविड-19 के कारण राज्य तंत्र दिन-रात काम कर रहा है, जिसमें आप (मुख्यमंत्री) भी शामिल हैं?

मैं काम कर रहा हूं, जैसे पहले भी कर रहा था। मगर हां, काम का बोझ जरूर बढ़ गया है, लेकिन लोगों ने हमें उनकी सेवा करने के लिए चुना है, और मैं अपना कर्तव्य निभा रहा हूं।

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