लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायपालिका की जरूरत: जस्टिस चेलमेश्वर

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चेलमेश्वर ने 22 जनवरी को एक कार्यक्रम में कहा कि लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है, जब न्यायपालिका निष्पक्ष और स्वतंत्र होगी।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कामकाज के प्रति नाराजगी को लेकर प्रेस कांफ्रेंस करने वाले जस्टिस चेलमेश्वर ने 22 जनवरी को एक कार्यक्रम में कहा, “लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है, जब न्यायपालिका निष्पक्ष और स्वतंत्र होगी।”

जस्टिस चेलमेश्वर, जॉर्ज एच गडबोइस की किताब ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया: द बिगनिंग्स’ नाम की किताब का विमोचन करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट किसी संचालक का दरबार नहीं है। कम से कम संविधान में ऐसे संचालक की शक्ति का जिक्र नहीं है। लेकिन कार्यप्रणाली में शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के मामले में प्रत्यक्ष रूप से प्रबंधन जैसा काम होता है।”

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान से असाधारण न्यायाधिकार मिला है तो इसके साथ-साथ पूर्ण न्याय करने का दायित्व भी सौंपा गया है। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट पर दबाव ज्यादा बढ़ गया हैं।

उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति से क्या संस्थान की गरिमा और प्रतिष्ठा बढ़ती है या फिर क्या यह सचमुच उद्देश्य की पूर्ति करता है। यह उनके लिए परीक्षण और चिंता का विषय है जो इस संस्थान से जुड़े हुए हैं।” उन्होंने आगे कहा, “समाधान अवश्य ढूंढना चाहिए। समस्या के समाधन के तरीके और साधनों को तलाशने की जरूरत है।” जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि भारत की आबादी के आठवें से लेकर छठे हिस्से को सीधे तौर पर न्यायापालिका की जरूरत पड़ती है।

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