इंडिया गेट प्रदर्शन मामला: 10 आरोपियों को मिली जमानत, 'कट्टरपंथी संगठनों की सदस्यता के संबंध में कुछ नहीं मिला'

अदालत ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए कहा कि जिन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत अभी तक नहीं मिले हैं, उन्हें जेल में रखने से जांच को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होगा।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली के इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के विरोध में हुए प्रदर्शन से जुड़े मामले में मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 10 प्रदर्शनकारियों को जमानत दे दी। इन सभी पर आरोप था कि उन्होंने प्रदर्शन के दौरान राष्ट्र-विरोधी नारे लगाए और तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला किया। अदालत ने मामले की उपलब्ध सामग्री का अध्ययन करने के बाद यह माना कि आरोपियों को न्यायिक हिरासत में रखने से अब कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा।

जिन प्रदर्शनकारियों को राहत मिली, उनमें आत्रेय चौधरी, प्रकाश कुमार गुप्ता, विष्णु तिवारी, श्रेष्ठ मुकुंद, बंका आकाश, अहान अरुण उपाध्याय, सत्यम यादव, तान्या श्रीवास्तव और समीर फेयस शामिल हैं। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) अरिदमन सिंह चीमा की अदालत ने कहा कि घटना से जुड़े सीसीटीवी फुटेज और वीडियो क्लिप पहले ही जांच एजेंसी के पास सुरक्षित हैं। पुलिस आरोपियों के मोबाइल फोन भी जब्त कर चुकी है और अब तक की जांच में किसी भी आरोपी का नक्सलियों से जुड़े किसी कट्टरपंथी संगठन से संबंध होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

इस पूरे प्रकरण में अदालत 24 नवंबर की घटना से जुड़े 12 प्रदर्शनकारियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। मंगलवार को 10 लोगों को जमानत मिल गई, जबकि एक आरोपी की याचिका अदालत ने खारिज कर दी। एक अन्य प्रदर्शनकारी की अर्जी पर फैसला अभी लंबित है, जिस पर आगामी तारीख को विचार किया जाएगा।

जिस आरोपी की जमानत याचिका खारिज हुई, उसके संदर्भ में अदालत ने विशेष टिप्पणी भी की। जज चीमा ने कहा कि आरएसयू (रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन) के अन्य सदस्यों की पहचान और उनकी भूमिका को लेकर जांच अभी चल रही है। आरोप है कि इन्हीं लोगों ने प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन को नक्सल कमांडर हिडमा के समर्थन में मोड़ने की कोशिश की थी। अदालत ने कहा कि जिस आरोपी का संबंध आरएसयू जैसे संगठन से होने की बात पुलिस ने बताई है, इस चरण पर उसे जमानत देना उचित नहीं होगा क्योंकि उसके फिर से इसी तरह की गतिविधियों में शामिल होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।


दिल्ली पुलिस ने इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की थीं। संसद स्ट्रीट पुलिस स्टेशन और कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन दोनों में प्रदर्शनकारियों पर मारपीट, सरकारी काम में बाधा डालने और महिला पुलिसकर्मियों का अपमान करने जैसे आरोप लगाए गए थे। शुरुआत में 17 लोगों को संसद मार्ग थाने में दर्ज एफआईआर में नामजद किया गया था, जिन्हें बाद में कर्तव्य पथ थाने की एफआईआर में भी गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि संसद मार्ग थाने में दर्ज सभी 17 आरोपी अब जमानत पर बाहर हैं।

अदालत में पेश की गई जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने कुछ आरोपियों के मोबाइल चैट रिकॉर्ड भी जांच में शामिल किए हैं। पुलिस का दावा है कि कुछ व्हाट्सएप चैट में प्रदर्शनकारियों ने हिडमा को ‘श्रद्धांजलि’ दी और उसके एनकाउंटर का विरोध किया। पुलिस के अनुसार, एक फोन में मिला एक कथित संदेश यह कहता हुआ मिला कि “हिडमा एक हीरो थे, नक्सलवादी नहीं।” इन संदेशों को पुलिस ने कथित तौर पर प्रदर्शन के एजेंडा को प्रभावित करने वाले तत्वों के रूप में अदालत के समक्ष रखा।

अदालत ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए कहा कि जिन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत अभी तक नहीं मिले हैं, उन्हें जेल में रखने से जांच को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होगा। हालांकि जिन आरोपियों के बारे में अदालत को आशंका लगी कि वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें राहत नहीं दी गई।

मामले की अगली सुनवाई में अदालत लंबित याचिकाओं पर भी फैसला करेगी। इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के खिलाफ हुए इस प्रदर्शन और उससे जुड़े घटनाक्रम पर अब अदालत के अगले कदम का इंतजार रहेगा।

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