कश्मीर में भारी बर्फबारी, हिमस्खलन में देवदूत बनी सेना, गाड़ियों सहित फंसे 30 नागरिकों को बचाकर निकाला

सेना ने बयान जारी कर बताया कि दो हिमस्खलन और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बावजूद 14 नागरिकों को बचाकर नीलम लाया गया, जबकि 16 नागरिकों को बचाकर एनसी पास ले जाया गया। बचाए गए सभी नागरिकों को रात के लिए भोजन, चिकित्सा देखभाल और आश्रय प्रदान किया गया।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कश्मीर में भारी हिमस्खलन और लगातार बर्फबारी में फंसे 30 नागरिकों के लिए भारतीय सेना देवदूत साबित हुई है। एनएच 701 पर खूनी नाला और कुपवाड़ा में तंगधार-चौकीबल मार्ग पर गाड़ियों सहित फंसे इन नागरिकों को सेना और जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स ने कड़ी मशक्कत के बाद बचा लिया है।

सेना अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि जैसे ही एनएच-701 पर खूनी नाला और एसएम हिल के करीब नागरिकों के फंसने की सूचना एनसी पास पर सैनिकों तक पहुंची, भारतीय सेना के हिमस्खलन बचाव दल और जीआरईएफ की एक टीम सहित दो बचाव दल उन नागरिकों को बचाने के लिए जुट गए, जो वहां अपने वाहनों में फंस गए थे।


वहीं, दूसरी घटना में मंगलवार सुबह हिमस्खलन ने कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में तंगधार-चौकीबल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिसमें एक बच्चे सहित 14 नागरिक अपने वाहनों के साथ फंस गए। कैप्टन कुलजोत सिंह के नेतृत्व में नीलम कंपनी ऑपरेटिंग बेस से सेना की हिमस्खलन बचाव टीम जीआरईएफ टीम के साथ महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित यात्रियों के साथ फंसे वाहनों की सूचना मिलने के बाद तुरंत हरकत में आई।

सेना ने बयान जारी कर बताया कि दो हिमस्खलन और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के बावजूद 14 नागरिकों को बचाया गया और नीलम लाया गया, जबकि 16 नागरिकों को बचाकर एनसी पास ले जाया गया, जिसे आमतौर पर साधना पास के रूप में भी जाना जाता है। बचाए गए सभी नागरिकों को रात के लिए भोजन, चिकित्सा देखभाल और आश्रय प्रदान किया गया।


सेना ने कहा कि मंगलवार को हिमस्खलन और सड़क से बर्फ खिसकने के बाद फंसे 12 वाहनों को दिन में निकाला गया। सेना ने कहा कि खतरनाक परिस्थितियों के बीच जीआरईएफ ने बर्फ हटाने में एक कठिन लेकिन सराहनीय भूमिका निभाई। पूरे प्रयास में लगभग पांच से छह घंटे लगे। पिछले साल भी एनसी पास के नजदीक खूनी नाला के पास सैनिकों द्वारा नागरिकों को बचाया गया था, क्योंकि यह क्षेत्र हिमस्खलन को लेकर संवेदनशील माना जाता है।

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