'दबाव में है भारतीय अर्थव्यवस्था, बूस्टर डोज जरूरी', कांग्रेस ने नुवामा रिपोर्ट के जरिए सरकार पर साधा निशाना

जयराम रमेश ने रिपोर्ट को साझा करते हुए लिखा, यह साफ है कि अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज की जरूरत है, और वह बूस्टर तभी आएगा जब टैक्स टेररिज्म रुकेगा, जीएसटी में व्यापक सुधार होगा, और सत्ता में बैठे लोग एकाध कॉरपोरेट घरानों को छोड़ शेष उद्योग जगत की भी सुनेंगे।

फोटोः विपिन
i
user

नवजीवन डेस्क

भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज की 16 जुलाई को जारी एक शोध रिपोर्ट में मौजूदा आर्थिक हालात पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर तीखा हमला बोला है।

जयराम रमेश ने लिखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को “बूस्टर डोज़” की ज़रूरत है, लेकिन सरकार केवल "पक्षपातपूर्ण कॉरपोरेट नीति और टैक्स टेररिज्म" में व्यस्त है। उन्होंने आरोप लगाया कि सिर्फ एक या दो बड़े कारोबारी घरानों को फायदा पहुंचाने की नीति देश को आर्थिक सुस्ती की ओर ले जा रही है।

नुवामा रिपोर्ट में क्या है?

नुवामा की रिपोर्ट एक आर्थिक चेतावनी की तरह सामने आई है, जिसमें पांच मुख्य क्षेत्रों में कमजोरी की बात कही गई है:

1.    हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर दबाव में:

क्रेडिट ग्रोथ, निर्यात और जीएसटी संग्रह जैसे इंडिकेटर या तो स्थिर हो गए हैं या धीमे पड़ गए हैं, जो आर्थिक सुस्ती के स्पष्ट संकेत हैं।

2.    निजी उपभोग में गिरावट:

दोपहिया और चारपहिया वाहनों की बिक्री, रियल एस्टेट सेक्टर में मांग – सब कुछ सीमित गति से बढ़ रहा है।

3.    औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती:

वर्ष 2025-26 की शुरुआत से ही बिजली और डीजल खपत में गिरावट, भारी वाहनों की बिक्री में कमी और कोर सेक्टर की धीमी वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि उद्योग क्षेत्र दबाव में है।

4.    ग्रामीण भारत की कमजोरी:

कृषि उत्पादों की कीमतें लगातार नीचे बनी हुई हैं, जिससे ग्रामीण आय और मांग दोनों प्रभावित हो रही हैं।

5.  कॉरपोरेट कटौती मोड में:

कॉरपोरेट क्षेत्र पूंजीगत व्यय और वेतन पर कटौती कर फ्री कैश फ्लो बढ़ाने में लगा है – इसका सीधा असर रोजगार और निवेश दोनों पर पड़ रहा है।


जयराम रमेश का सीधा हमला

जयराम रमेश ने इस रिपोर्ट को साझा करते हुए लिखा, "यह साफ है कि अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज की जरूरत है, और वह बूस्टर तभी आएगा जब टैक्स टेररिज्म रुकेगा, जीएसटी में व्यापक सुधार होगा, और सत्ता में बैठे लोग एकाध कॉरपोरेट घरानों को छोड़ शेष उद्योग जगत की भी सुनेंगे।"

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की प्राथमिकताएं आम लोगों की आर्थिक भलाई से भटक चुकी हैं और अब केवल दिखावे और प्रचार पर केंद्रित हैं।

विपक्ष बनाम सरकार: अर्थनीति पर नई बहस

नुवामा की रिपोर्ट ने एक बार फिर विपक्ष को सरकार की आर्थिक रणनीति पर सवाल उठाने का अवसर दिया है। जहां सरकार अब तक मजबूत GDP ग्रोथ और विदेशी निवेश के आंकड़ों को प्रमुखता से दिखाती रही है, वहीं ये रिपोर्ट उस ग्राउंड रियलिटी की ओर इशारा करती है जिसे आम नागरिक और छोटे कारोबारी हर दिन महसूस कर रहे हैं।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia