भारतीय अर्थव्यवस्था डांवाडोल, आंकड़े भरोसे लायक नहीं - नोबेल मिलने के बाद अभिजीत बनर्जी की पहली प्रतिक्रिया

भारत की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है, और सरकारी तौर पर उपलब्ध आंकड़ें भरोसेमंद नहीं लगते। यह है अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद अभिजीत बनर्जी की भारतीय अर्थव्यवस्था पर पहली प्रतिक्रिया।

अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र के लिए 2019 का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। (फोटो: Getty Images)
अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र के लिए 2019 का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। (फोटो: Getty Images)
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नवजीवन डेस्क

‘भारतीय अर्थव्यवस्था अस्थिर, आंकड़े भरोसे लायक नहीं’

अभिजीत बनर्जी ने कहा कि इस समय "भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति अस्थिर है। मौजूदा (विकास) के आंकड़ों को देखने के बाद, इसके बारे में निश्चित नहीं हूं कि इसका निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार क्या होगा।“ नोबेल प्राइज़ डॉट ओआरजी को दिए इंटरव्यू में अभिजीत बनर्जी ने कहा कि मौजूद समय में उपलब्ध आंकड़े यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की आर्थिक स्थिति में जल्द कोई सुधार होगा।

उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा, "पिछले 5-6 साल में हमने कुछ विकास देखा था, लेकिन अब यह भरोसा भी जा चुका है।"

नोबेल मिलने की खबर मिलने के बाद भी सो गए थे अभिजीत बनर्जी

उन्होंने खुलासा किया कि स्टॉकहोम से जब उन्हें फोन आया तो वह गहरी नींद में थे। अभिजीत ने बताया कि वह आमतौर सुबह जल्दी उठने के आदी नहीं हैं, मगर सूचना मिलने के बाद उनकी नींद खुल गई। उन्होंने कहा कि नींद पूरी न होने से उनके लिए दिनभर समस्या हो जाती है, इसलिए उन्होंने दोबारा सोने की कोशिश की। बधाई देने के लिए आने वाले फोन की घंटियों के बीच भी वह 40 मिनट और सो गए।


58 वर्षीय बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार मिलने पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्होंने सोचा नहीं था कि करियर में इतनी जल्दी उन्हें यह सम्मान मिल जाएगा। अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इकनॉमिक्स पढ़ाने वाले अभिजीत बनर्जी ने कहा, "मैं पिछले 20 सालों से यह रिसर्च कर रहा हूं। हमने गरीबी कम करने के लिए समाधान देने की कोशिश की है।"

उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार दर्शाता है कि हम अक्सर कल्याण के लिए सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन ऐसे पुरस्कार के लिए यह हमेशा मायने नहीं रखता। अभिजीत बनर्जी ने प्रथम और सेवा मंदिर नाम के दो एनजीओ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इन संगठनों ने जमीनी स्तर पर काम किया और उन्होंने इनसे काफी कुछ सीखा है। वह अपनी निजी अनुभव से कह सकते हैं कि ये संगठन हमारे लिए काफी अहम हैं।

भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो को साल 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। उनके साथ ही अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। तीनों को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा। नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि तीनों अर्थशास्त्रियों को 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी कम करने के उनके प्रयोगात्मक नजरिए' के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है।

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