लॉकडाउन से तबाह हुए उद्योग, नए ऑर्डर में भारी गिरावट, 15 साल के नीचले स्तर पर पहुंचा

कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन से मार्च में तो विनिमार्ण गतिविधियां अपेक्षाकृत निष्प्रभावी रहीं, लेकिन अप्रैल में क्षेत्र पर कोरोना संकट का असर साफ देखा गया। बड़े पैमाने पर उद्योग बंद होने के कारण नए ऑर्डरों में भारी गिरावट रही, जो पिछले 15 साल की सबसे तेज गिरावट है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अप्रैल महीने में देश में विनिर्माण गतिविधियां रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गईं। आज जारी एक मासिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान बड़े पैमाने पर उद्योग बंद रहे, बड़ी संख्या में छंटनी देखी गई और नए ऑर्डर भी डूब गए। पिछले ढाई साल में उद्योगों के नए ऑर्डरों में पहली बार गिरावट देखी गई, जो यह पिछले 15 साल में आई सबसे तेज गिरावट है।

अप्रैल महीने में आईएचएस मार्केट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई विनिर्माण) गिरकर 27.4 अंक पर पहुंच गया। यह मार्च में 51.8 अंक था। इस सर्वेक्षण के पिछले 15 साल के इतिहास में यह आंकड़ा सबसे तेज गिरावट को दर्शाता है, जबकि पिछले 32 महीनों से विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में लगातार तेजी का रुख बना हुआ था। बता दें कि पीएमआई सूचकांक 50 अंक से ऊपर रहना कारोबारी गतिविधियों में तेजी, जबकि उससे नीचे रहना गिरावट को दर्शाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण कारखाने अस्थायी तौर पर बंद रहे, जिससे उत्पादन का स्तर काफी नीचे चला गया, जिससे निर्यात पर असर पड़ा। अक्टूबर 2017 के बाद निर्यात ऑर्डरों में पहली बार मार्च में गिरावट देखी गयी, जो अप्रैल में और अधिक तेजी के साथ गिरता गया।

इस गिरावट की वजह से अप्रैल में विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों में नौकरियों में भी कटौती देखी गयी। काम बंद रहने के कारण कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में भारी कटौती की जो सर्वे के इतिहास में रोजगार में आई सबसे तेज गिरावट है। हालांकि इस रिपोर्ट में साल भर के लिए मांग में सुधार का आकलन है। कोरोना संकट से उबरने के बाद में बाजार में मांग में तेजी आने की उम्मीद जतायी गयी है।

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