अर्थव्यवस्था को सुस्त कर देगा महंगा तेल-कमजोर रुपया, महंगाई बढ़ने-नौकरियां कम होने का खतरा:  उद्योग चैंबर्स

तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी से देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरने का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही डॉलर की कीमत बढ़ने से निवेश घटने की आशंका है, जो नौकरियों में कमी और महंगाई बढ़ने का कारण बन सकती है। उद्योगों ने सरकार को चेताया है कि अगर हालात काबू नहीं किए गए तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जीएसटी के दायरे में आएं पेट्रोल-डीज़ल : उद्योग

दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसे में उद्योग चैंबर्स फिक्की और एसोचैम ने सोमवार को सरकार से तुरंत उत्पाद शुल्क घटाने की अपील की, साथ ही वाहन ईंधन को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का भी आग्रह किया।

डायनेमिक मूल्य प्रणाली के तहत दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत 76.57 रुपये की नई ऊंचाई पर पहुंच गई, जबकि एक दिन पहले ही पेट्रोल की कीमत अब तक के सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच चुकी थी। पिछली बार पेट्रोल की सबसे ऊंची कीमत 2013 में 14 सितंबर को 76.06 रुपये थी। राष्ट्रीय राजधानी में डीजल की कीमत भी उच्चस्तर का रोज नया रिकार्ड बना रही है और सोमवार को इसकी कीमत 67.57 रुपये प्रति लीटर थी।

‘अर्थयवस्था के पटरी से उतरने का खतरा, बढ़ेगी महंगाई’

फिक्की ने एक बयान में कहा, "ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लौट रही है, तेल की बढ़ती कीमतों से देश की आर्थिक रफ्तार को धक्का लगेगा।" फिक्की के अध्यक्ष रशेश शाह ने कहा, "पिछले कुछ सालों से तेल की कीमतों में गिरावट से अर्थव्यवस्था की हालत सुधरी है। अब कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है तो महंगाई का खतरा बढ़ गया है। साथ ही रुपया भी गिर रहा है, जिससे व्यापार घाटा भी बढ़ रहा है।" उन्होंने कहा, "इससे मौद्रिक नीति में महंगाई रोकने पर ध्यान दिया जाएगा और ब्याज दरें कम नहीं होंगी, जिससे निजी निवेश को धक्का लगेगा।"

एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, "पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने से ग्राहकों को तात्कालिक राहत मिलेगी। लेकिन इसका स्थायी समाधान परिवहन ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने से ही निकलेगा। ऐसा तभी होगा जब केंद्र और राज्य सरकारें तेल से मिलने वाले कर पर निर्भरता घटाएं।"

‘पेट्रोल-डीज़ल की पड़ती मार-जवाब देने से मुकरी बीजेपी सरकार’

तेल कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मोदी सरकार पर करारा प्रहार किया है। कांग्रेस मीडिया सेल प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट में तेल की कीमतें दिखाते हुए कहा है कि आम लोगों पर लगातार बढ़ती तेल कीमतों की मार पड़ रही है, लेकिन मोदी सरकार कोई जवाब देने को तैयार नहीं है।

वहीं कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा है कि हालांकि ऐसा सोचना निर्थक है, फिर भी उम्मीद है कि मौजूदा केंद्र सरकार आम लोगों को इसलिए सजा नहीं देगी कि उन्होंने इस सरकार को चुना।

चालू खाता घाटा बढ़कर 2.5 फीसदी तक जाने की आशंका : एसबीआई इकोरैप

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सोमवार को कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में हाल में हुई बढ़ोतरी से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा और चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़कर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.5 फीसदी तक पहुंच सकता है।

एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट - 'तेल में उबाल : तेल की अर्थव्यवस्था को समझने का वक्त' में मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने अनुमान जाहिर किया है कि तेल कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल वृद्धि से देश के आयात बिल में आठ अरब डॉलर की वृद्धि होती है। हालांकि यह अनुमान है और वास्तविक वृद्धि में अंतर हो सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारे मॉडल के अनुमानों से पता चलता है कि कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल (प्रति 159 लीटर) की बढ़ोतरी से आयात बिल में आठ अरब डॉलर की बढ़ोतरी होती है, जिससे जीडीपी में 16 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि होती है। इसके कारण राजकोषीय घाटे में आठ बीपीएस की, चालू खाता घाटा में 27 बीपीएस की और मुद्रास्फीति में 30 बीपीएस की वृद्धि होती है।"

वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल में चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों को लगातार चौथी बार 6 फीसदी पर बरकरार रखा है और कहा था कि तेल कीमतों में वृद्धि से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का खतरा है, जो आरबीआई के मध्यम लक्ष्य 4 फीसदी से अधिक हो सकती है।

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Published: 21 May 2018, 11:21 PM