मासूम बच्चे भी आए किसान आंदोलन के समर्थन में, अन्नदाताओं को दान किए अपने गुल्लक

गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान सोमवार शाम को अचानक मेरठ से 4 बच्चों टिया मालिक, देव मालिक, प्रिंस चौधरी और अवनी चौधरी ने आकर किसानों को अपना समर्थन दिया। साथ ही इन बच्चों ने बीते 4-5 महीनों से अपनी गुल्लक में इकट्ठा किये पैसे भी किसानों को सौंप दिया।

फोटोः IANS
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आसिफ एस खान

राजधानी दिल्ली की सीमा पर पिछले कई दिनों से पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में किसानों के समर्थन में मासूम बच्चे भी उतर चुके हैं। इन बच्चों ने महीनों से जो अपनी गुल्लक में पैसा इकट्ठा किया था, उसे भी किसानों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए सौंप दिया है।

मोदी सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसान प्रदर्शन कर रहें हैं। प्रदर्शन के दौरान सोमवार शाम को अचानक मेरठ से 4 बच्चों टिया मालिक, देव मालिक, प्रिंस चौधरी और अवनी चौधरी ने आकर किसानों को अपना समर्थन दिया। इतना ही नहीं इन बच्चों ने बीते 4-5 महीनों से अपनी गुल्लक में जो पैसा इकट्ठा किया था, उसे भी किसानों को सौंप दिया।

बता दें कि बॉर्डर पर सोमवार को किसान नेताओं ने भूख हड़ताल रखी थी, जिसमें शाम 5 बजे इन्हीं चारों बच्चों ने जूस पिलाकर किसानों का अनशन तुड़वाया। ये चारों बच्चे मेरठ के निवासी हैं और ये दूसरी, छठी और आठवीं क्लास में पढ़ाई कर रहे हैं। प्रिंस चौधरी ने बताया, "हम सभी किसानों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए मेरठ से यहां आए हुए हैं। मैं 6 महीनों से अपनी गुल्लक में पैसा इखट्टा कर रहा था। जिसे मैंने किसानों को दे दिया है।"

चारों बच्चों को गाजीपुर बॉर्डर पर लाने वाले विकास सरकारी नौकरी करते हैं। उन्होंने कहा कि, "किसान हमारे भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं चारों बच्चे यहां इनका प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए आए हैं। हम सब किसानों को सहयोग करते हैं।" विकास के साथ आए इन चारों बच्चों की उम्र लगभग 7 साल से लेकर 13 साल तक है।

दरअसल आंदोलनकारी किसान पिछले करीब 19 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच कई बार बातचीत हुई, किसान संगठनों के कुछ प्रतिनिधियों से गृहमंत्री अमित शाह की भी मुलाकात हुई, फिर भी अब तक कोई रास्ता नहीं निकल सका है। बॉर्डर पर बैठे किसान तीनों कृषि कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वहीं सरकार दावा कर रही है कि नए कानूनों से किसानों का कोई नकुसान नहीं होगा। दोनों ही पक्ष अपने रुख में बदलाव करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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