बुलंदशहर हिंसा की इनसाइड स्टोरी: इंस्पेक्टर की हत्या की थी सुनियोजित साजिश, बलवाइयों को कोई दे रहा था निर्देश?

स्याना के इतिहास में कभी साम्प्रदायिक झगड़ा नहीं हुआ है। हाल ही में रामलीला कायक्रम में मुसलमानों का बड़ा सहयोग रहा था। रामलीला कमेटी ने मुसलमानों को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया था। इज्तिमा में शिरकत करने जा रहे लोगों के लिए शिव मंदिर के दरवाजे खोले गए थे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

आस मोहम्मद कैफ

बुलंदशहर हिंसा की जांच जारी है। एडीजी इंटेलिजेंस बुधवार को इस पर अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। लेकिन रिपोर्ट पेश करने से पहले कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। हिंसा के पीछे साजिश के संकेत मिल रहे हैं। पूरी घटना पर सिलसिलेवार ढंग से नजर डालें तो तस्वीरें साफ होती नज़र आ रही हैं। सोमवार को हिंसा से पहले सुबह 9 बजे स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को पास के गांव महाब के पूर्व प्रधान ने फोन करके बताया था कि पास के खेत में गोवंश के अवशेष पड़े हुए हैं। यह जगह स्याना से 5 किमीटर की दूरी पर है। स्याना जिला मुख्यालय से करीब 40 किमीटर की दूरी पर एक बड़ा कस्बा है। स्याना कोतवाल सुबोध कुमार तुरंत मौके पर पहुंच गए। खेत में दो या तीन जानवरों के अवशेष पड़े हुए थे।

पुलिस सूत्रों की मानें तो यह स्पष्ट नहीं था कि अवशेष वो गोवंश के ही थे। अवशेष देखने के बाद सुबह 10 बजे सुबोध कुमार ने इसकी सूचना आला अधिकारियों को दी। वहां मौजूद बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि वो जंगलों में घूम रहे थे, तो उन्हें यह अवशेष मिले। बाद में बजरंग दल के जिला संयोजक की ओर से दर्ज हुई रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख है कि वो अपने कुछ साथियों के साथ जंगल मे घूम रहे थे।

जाहिर है वो जंगल में सुबह 9 बजे से पहले घूम रहे थे। उसके बाद उन्होंने पूर्व प्रधान को बताया और उसके बाद पूर्व प्रधान ने पुलिस को सूचना दी। सवाल यह है कि क्या बजरंग दल के लोगों को रात में ही यह सूचना थी कि महाब के जंगलों में गौकशी हुई है? अगर ऐसा था तो उन्होंने पुलिस को सूचना क्यों नही दी? बजरंग दल ने पुलिस के बजाए आसपास के लोगों को इस बात की सूचना दी और मौके पर लोगों को जमा करना शुरू कर दिया। जल्द ही वहां बड़ी संख्या में बजरंग दल के कार्यकर्ता जमा हो गए।

सुबह 10 बजते-बजते भीड़ ने हंगामा करना शुरू कर दिया। घटनास्थल से करीब में मौजूद चिरंगावठी पुलिस चौकी पर पुलिसबल की संख्या कम थी। इस बीच बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने इन कथित गोवंश के अवशेषों को ट्रैक्टर में लाद लिया और स्याना के मुख्य मार्ग पर जाम लगा दिया। यह मार्ग मुरादाबाद और बरेली मार्ग है और इस पर अत्यधिक आवाजाही थी। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार लगातार इन युवकों को समझाने की कोशिश कर रहे थे। कुछ लोग बताते हैं कि जिम्मेदार लोगों ने उनकी बात मान ली थी, लेकिन युवाओं में आक्रोश भरा हुआ था।

स्याना के मुख्य मार्ग पर जाम लगभग एक घंटे तक लगा रहा। इस बीच पुलिस ने हालात को ध्यान में रखते हुए इज्तिमा से लौट रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों का रास्ता बदल दिया। साथ ही मौके पर जमा प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठियां फटका कर जाम खुलवाने की कोशिश की। यह तरकीब काम आई और जाम खुल गया।

इस बीच 12 बजे के आसपास सीओ स्याना एसपी शर्मा भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस ने मामले में नामजद एफआईआर करने और तत्काल गिरफ्तारी करने की प्रदर्शनकारियों की बात मान ली। मवेशी के अवशेषों को अपने कब्जे में लेकर जांच करने की बात कही।

लेकिन, अचानक बात फिर बिगड़ गई और युवक आक्रोशित हो गए। प्रदर्शनकारी चिंगरावठी चौकी पर पथराव करने लगे। मजबूरन पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। हालात इतने बिगड़ने लगे कि पुलिसवालों को जान बचाकर भागना पड़ा। इस बीच गन्ने के खेतों में गोलियां चलने की आवाजें आनें लगीं। बताया जा रहा है कि इसी दौरान एक गोली प्रदर्शनकारियों को संभालने की जद्दोजहद में जुटे स्याना कोतवाल सुबोध कुमार राठौर के सिर में जा लगी और वे गाड़ी से नीचे गिरे और उनकी मौत हो गई।

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के साथी पुलिसकर्मी ने बताया कि भीड़ बहुत ज्यादा नहीं थी। उन्होंने बताया कि भीड़ में शामिल लोग उग्र होने के बाद समझाने पर शांत हो जाते थे। लेकिन बीच-बीच में अचानक फिर हंगामा करना शुरू कर देते थे, जैसे उन्हें किसी से निर्देश मिल रहा हो।

ऐसे में सवाल खड़ा होता है जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की सभी बात मान ली थी तो फिर क्या एकमात्र उद्देश्य बवाल ही था? कहीं इसके पीछे 45 किमीटर दूर आयोजित मुस्लिम समुदाय का कार्यक्रम इज्तिमा तो नहीं था?

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार का परिवार

बवाल के दौरान के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं। इनमें से एक में इंस्पेक्टर सुबोध अपनी गाड़ी से गोली लगने के बाद गिरे हुए दिख रहे हैं। गोली लगने के बाद एक युवक उन्हें गाली दे रहा है। दूसरा पहचान करता है कि यह तो एसओ है। सफेद शर्ट पहने तीसरा युवक हाथ में पिस्टलनुमा चीज लेकर भागता है। इसे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार का पिस्टल बताया जा रहा है। मौके से इंस्पेक्टर सुबोध कुमार का मोबाइल फोन भी गायब हुआ था।

दोपहर करीब 2 बजे इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत हो जाती है। इसके बाद भी बवाल जारी रहता है। लगभग 20 वाहन जला दिए जाते हैं, चौकी में आग लगा दी जाती है। सिर के बल जमीन पर गिरे सुबोध कुमार पर बलवाइयों को न दया आती है, न खाकी के प्रति सम्मान उमड़ता है। वे बहादुर इंस्पेक्टर को गाली देते हैं और इसके बाद वे और अधिक उग्र हो जाते हैं। आगजनी करते हैं और राहगीरों से मारपीट करते हैं।

पुलिस विभाग में अपनी बहादुरी के लिए सुबोध कुमार एक खास पहचान रखते थे। दादरी के चर्चित बिसाहड़ा कांड में अखलाक की हत्या की जांच उन्होंने की थी। उन्होंने बेहद निष्पक्ष और बेहतरीन विवेचना की।

पिछले दिनों यहां हुए बवाल में भी गोली चलाई गई थी, जिसमे राहुल यादव नाम के युवक की मौत हो गई थी, इस मामले में सुबोध कुमार के विरुद्ध मजिस्ट्रेटिव जांच चल रही थी। जाहिर है वो हिन्दू कट्टरपंथी ताकतों की आंख में खटकते थे।अब सवाल यह उठता है कि क्या इंस्पेक्टर की हत्या किसी सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा थी? क्या एक बहुत बड़ी संभावित घटना को एक बहादुर इंस्पेक्टर ने अपनी जान देकर बचा लिया?

स्याना बुलंदशहर जनपद के सबसे बड़े कस्बों में से एक है और यहां हिन्दू-मुस्लिम एकता वाली साझा संस्कृति है। पिछली बार यहां से कांग्रेस के दिलनवाख खान विधायक थे, अब बीजेपी के देवेंद्र सिंह लोधी उत्तर प्रदेश विधानसभा में स्याना का प्रतिनिधित्व करते हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि जबसे बीजेपी विधायक और सूबे में सरकार का मेल बना है तबसे स्थानीय युवाओं में कट्टर हिंदुत्व उबाल मार रहा है। स्याना में हिन्दू-मुस्लिम की आबादी में 60:40 का अनुपात है।

बुलंदशहर के दरियापुर में जहां इज्तिमा हुआ, वह जगह घटना वाली जगह से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पिछले तीन दिन से हिन्दू-मुस्लिम मिलकर इज्तिमा में जा रहे लोगों का स्वागत कर रहे थे, उनके लिए भंडारा का आयोजन किया गया था। जिस प्रकार से पिछली कावंड़ यात्रा में मुस्लिमों ने शिविर लगाकर भोले के भक्तों की सेवा की थी, उससे स्थानीय हिन्दू समाज ने खुशी जाहिर की थी और इज्तिमा के लिए आने वाले अकीदतमंदों को पूरी-सब्जी और लड्डू का भंडारा चला रहे थे, इस भंडारे के आयोजक स्याना के अरविंद शर्मा बताते हैं कि उनके साथियों ने मिलकर 50 हजार लोगों के खाने की व्यवस्था की थी।

स्याना के इतिहास में कभी साम्प्रदायिक झगड़ा नहीं हुआ है। हाल ही में हुई रामलीला में मुसलमानों का बड़ा सहयोग रहा था और रामलीला कमेटी ने मुसलमानों को अपने मंच पर बुलाकर सम्मान किया था। इज्तिमा में शिरकत करने जा रहे अकीदतमंदों के लिए बुलंदशहर में एक शिवमंदिर के दरवाजे खोल दिए गए थे, जहां मुसलमानों ने नमाज पढ़ी थी। पुलिस ने भी बेहतरीन व्यवस्था की थी, पुलिस की चारों तारीफ हो रही थी, कावंड़ियों की तरह हिन्दू समाज इज्तिमा में आ रहे अकीदतमंदों को सम्मान दे रहा था।

लेकिन अब स्याना के आसपास तनाव है। सोशल मीडिया पर जिस तरह से अफवाह फैलाई गई वो भी साजिश की तरफ इशारा करती है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 04 Dec 2018, 1:58 PM