IPS सुसाइड केस: शव मिलने के 60 घंटे बाद भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम, प्रियंका बोलीं- BJP शासित राज्य दलितों के लिए अभिशाप
वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है। आयोग का मानना है कि इस घटना की गहन जांच जरूरी है, क्योंकि यह दलित समुदाय के एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा मामला है।

आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के आत्महत्या मामला तूल पकड़ता जा रहा है। वाई पूरन कुमार की मौत को 60 घंटे से ज्यादा बीते चुके हैं, लेकिन अबतक उनका पोस्टमॉर्टम नहीं हो पाया है। वहीं उनके परिजनों ने न्याय नहीं मिलने तक अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है। वैसे तो पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस को उनके परिजनों से सहमति की आवश्यकता नहीं है, लेकिन खबर लिखे जाने तक ऐसा नहीं किया गया है।
मुख्य सचिव और डीजीपी को एनसीएससी का नोटिस
उधर, नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल्ड कास्ट्स (एनसीएससी) ने दलित आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में स्वतः संज्ञान लिया है। शुक्रवार को एनसीएससी ने इस सिलसिले में चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
यह नोटिस भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत आयोग की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जारी किया गया है।
घटना के बाद आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू करने का फैसला किया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में सभी आरोपियों के नाम, दर्ज एफआईआर की संख्या, तारीख और संबंधित धाराएं, आरोपियों की गिरफ्तारी की स्थिति और पीड़ित परिवार को दिए गए मुआवजे (अगर कोई हो) का ब्योरा शामिल होना चाहिए।
यह कदम दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजे गए पत्र
एनसीएससी द्वारा मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजे गए पत्र में चेतावनी दी गई है कि अगर तय समय सीमा के अंदर जवाब नहीं मिला तो आयोग संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत मिली सिविल कोर्ट की शक्तियों का उपयोग करेगा।
इसके तहत आयोग व्यक्तिगत रूप से या उनके प्रतिनिधि के माध्यम से उनकी हाजिरी के लिए समन जारी कर सकता है। यह कदम मामले में देरी या लापरवाही को रोकने के लिए उठाया गया है।
वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है। आयोग का मानना है कि इस घटना की गहन जांच जरूरी है, क्योंकि यह दलित समुदाय के एक वरिष्ठ अधिकारी से जुड़ा मामला है।
घटना को लेकर NCSC बेहद गंभीर
आज तारीख 10 अक्टूबर है और रिपोर्ट जमा करने की समय सीमा 17 अक्टूबर तक है। आयोग ने यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह स्वयं मामले की जांच के लिए चंडीगढ़ जा सकता है।
इस नोटिस से साफ है कि एनसीएससी इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और समयबद्ध कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन पर अब जांच को तेज करने और रिपोर्ट समय पर सौंपने का दबाव बढ़ गया है।
‘आत्महत्या’ के मामले में प्राथमिकी दर्ज की
इससे पहले, चंडीगढ़ पुलिस ने आईपीएस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या के मामले में मृतक द्वारा छोड़े गए ‘अंतिम नोट’ में उल्लेखित आरोपियों के खिलाफ बृहस्पतिवार को प्राथमिकी दर्ज की।
सूत्रों का कहना है कि हरियाणा पुलिस के अधिकारी वाई पूरण कुमार ने एक ‘अंतिम नोट’ छोड़ा है, जिसमें राज्य के ‘‘वरिष्ठ अधिकारियों’’ के नाम हैं। कुमार ने इस नोट में यह बात विस्तार से लिखी है कि पिछले कुछ वर्षों में कैसे उन्होंने कथित तौर पर ‘‘मानसिक उत्पीड़न और अपमान’’ झेला है।
कुमार ने मंगलवार को यहां अपने आवास पर कथित तौर पर खुद को गोली मार ली थी।
चंडीगढ़ पुलिस ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘अंतिम नोट में उल्लिखित आरोपियों के खिलाफ अत्याचार रोकथाम अधिनियम की धारा 108 आरडब्ल्यू 3(5) (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(1)(आर) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की जांच जारी है।’’
अगली कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर चंडीगढ़ पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम लगाए गए आरोपों की जांच करेंगे।’
बीजेपी शासित राज्य दलितों के लिए अभिशाप
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका ने रायबरेली और सीजेआई की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित राज्य दलितों के लिए अभिशाप बन गए हैं।
कांग्रेस नेता ने शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “जातीय प्रताड़ना से परेशान होकर हरियाणा के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार जी की आत्महत्या से पूरा देश स्तब्ध है। देश भर में दलितों के खिलाफ जिस तरह अन्याय,अत्याचार और हिंसा का सिलसिला चल रहा है, वह भयावह है।“
प्रियंका ने आगे कहा, “पहले रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि जी की हत्या, फिर मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब एक वरिष्ठ अधिकारी की आत्महत्या यह साबित करती है कि बीजेपी राज दलितों के लिए अभिशाप बन गया है। चाहे कोई आम नागरिक हो या ऊंचे पद पर हो, अगर वह दलित समाज से है तो अन्याय और अमानवीयता उसका पीछा नहीं छोड़ते। जब ऊंचे ओहदे पर बैठे दलितों का यह हाल है तो सोचिए आम दलित समाज किन हालात में जी रहा होगा।“
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2001 बैच के अधिकारी वाई पूरण कुमार (52) चंडीगढ़ सेक्टर 11 स्थित अपने घर में बेसमेंट के एक कमरे में मृत पाए गए थे। उन्हें गोली लगी हुई थी। उन्हें हाल में रोहतक के सुनारिया स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (पीटीसी) का महानिरीक्षक नियुक्त किया गया था।
आईएएनएस और पीटीआई के इनपुट के साथ
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