क्या दिल्ली नगर निगमों के एकीकरण के बाहने आम आदमी पार्टी को घेरने की जुगत में है बीजेपी!

आम आदमी पार्टी के नेता निगम पार्षद राकेश कुमार का कहना है कि एका के बहाने बीजेपी चुनाव को छह महीने टालना चाहती है। उसकी नीयत ठीक नहीं है। वह यह प्रस्ताव लाकर विधानसभा और नगर निगम को तोड़-मरोड़ कर अपने बस में करना चाहती है।

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नवजीवन डेस्क

बीजेपी के लिए आम आदमी पार्टी भी अब गंभीर चिंता बनती जा रही है। असल में, बीजेपी को डर है कि दिल्ली नगर निगम भी इस बर उसके हाथ से निकल न जाए। इसीलिए तीनों निगमों के चुनावों को टाल दिया गया है। चुनाव अधिसूचना मार्च के दूसरे हफ्ते में जारी होनी थी। लेकिन केन्द्र सरकार के निर्देश और उपराज्यपाल से मिली चिट्ठी के बाद दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के श्रीवास्तव ने कहा कि शायद केन्द्र सरकार तीनों निगमों का पुनर्गठन करना चाहती है और हो सकता है, तीनों निगमों को मिलाकर एक कर दिया जाए, लिहाजा उस हिसाब से उन्हें चुनाव की औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।

ठीक है कि पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव परिणाम आने से पहले इस तरह की घोषणा की गई, पर साफ है कि बीजेपी को भविष्य का अंदाजा है। 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। हालांकि यह शीला दीक्षित की सहमति से हुआ था, पर तब भी कुछ कांग्रेस नेताओं ने इसका विरोध किया था।

अब बीजेपी नेता तीनों निगमों के एकीकरण के तमाम तर्क दे रहे हैं। दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर और बीजेपी नेता सुभाष आर्या का कहना है कि शीला सरकार के निगमों के बंटवारे के फैसले का हमने तभी विरोध किया था। निगम की वित्तीय स्थिति इस वजह से भी बिल्कुल खराब हो गई। अब अगर दोबारा तीनों निगमों को एक कर दिया जाए, तो 2012 से पहले की निगम की स्थिति बरकरार हो जाएगी। दिल्ली नगर निगम में महापौर रहे योगेंद्र चंदोलिया की भी यही राय है।


वरिष्ठ कांग्रेस नेता चतर सिंह का भी मानना है कि निगमों को एक करने से फर्क यह पड़ेगा कि जो दो निगम- उत्तरी और पूर्वी हमेशा वित्तीय घाटे में रहता है, वह ठीक हो जाएगा। बीजेपी नेता रहे जगदीश मंमगाई तो साफ कहते हैं कि निगमों का बंटवारा सिवाय खर्चे को बढ़ाने के और कुछ नहीं था। अगर तीनों निगम एक हो जाते हैं तो प्रशासनिक खर्च में 12 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।

लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता निगम पार्षद राकेश कुमार का कहना है कि एका के बहाने बीजेपी चुनाव को छह महीने टालना चाहती है। उसकी नीयत ठीक नहीं है। वह यह प्रस्ताव लाकर विधानसभा और नगर निगम को तोड़-मरोड़ कर अपने बस में करना चाहती है। लेकिन दिल्ली की जनता सब जानती है- चाहे बीजेपी कुछ भी कर ले निगमों में अब आम आदमी पार्टी को सत्तासीन होने से कोई रोक नहीं सकता है।

(नवजीवन के लिए सत्यम की रिपोर्ट)

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