बंगाल में नेताओं का TMC में पलायन रोकना BJP के लिए हुआ असंभव, सब्यासाची के बाद 4 और विधायकों के जाने की चर्चा

अगर बीजेपी और अधिक विधायकों को खोती है, तो उसके लिए समस्या खड़ी हो जाएगी, क्योंकि अगर विधायकों की संख्या 69 से नीचे जाती है, तो प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को नुकसान होगा। वर्तमान ताकत के साथ, बीजेपी दो सदस्यों को संसद के ऊपरी सदन में भेज सकती है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में बीजेपी विधायकों और सांसदों का पलायन आसानी से रुकता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। गुरुवार को सब्यासाची दत्ता के तृणमूल में शामिल होने के बाद इस बात की चर्चा है कि बहुत जल्द चार और विधायक खेमा बदल सकते हैं। इस चर्चा के बाद बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

इन चार विधायकों में पश्चिम मिदनापुर जिले के खड़गपुर से हिरेन चट्टोपाध्याय, दार्जिलिंग से नीरज जिम्बा, कूचबिहार (उत्तर) से सुकुमार रॉय और बांकुरा जिले के सोनामुखी से दिबाकर घरामी के नाम की चर्चा है। वे न केवल पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों से अनुपस्थित रहे हैं, बल्कि पिछले सप्ताह विधायकों की महत्वपूर्ण बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे, जहां राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार मौजूद थे।

बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई ने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष के लिए एक अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया था, जहां सभी विधायकों को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इन चारों ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद यह अनुमान लगाया जा रहा कि वे तृणमूल नेतृत्व के संपर्क में हैं और उनके वहां जाने के संकेत भी मिले हैं। इस बीच पार्टी सांसद लॉकेट चटर्जी भी पार्टी के कई कार्यक्रमों में अनुपस्थित रहे हैं।

हालांकि बीजेपी ने इन अटकलों को खारिज किया है। बीजेपी के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, "वे कुछ निजी कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। हालांकि, कुछ जगहों पर तृणमूल हमारे विधायकों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है और उनके बारे में अफवाहें भी फैला रही है। बीजेपी का कोई भी विधायक पार्टी नहीं छोड़ रहा है। ये सभी तृणमूल कांग्रेस द्वारा प्रचारित अफवाहें निराधार हैं।"


इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 77 विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन जल्द ही यह संख्या घटकर 75 हो गई, क्योंकि निशीथ प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार ने लोकसभा सदस्य बने रहना चुना। इसके बाद बीजेपी के चार विधायकों के इस्तीफे के बाद यह संख्या घटकर 71 रह गई। एक अन्य विधायक कृष्ण कल्याणी ने हाल ही में पार्टी छोड़ दी, जिससे संख्या 70 हो गई। वह अभी तक तृणमूल में शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन उनके जल्द ही ऐसा करने की चर्चा है। वहीं अब सब्यासाची दत्ता के तृणमूल में जाने के बाद बीजेपी की मुश्किलें लगातार बढ़ती दिख रही हैं।

अब, अगर बीजेपी और अधिक विधायकों को खोती है, तो पार्टी के लिए समस्या खड़ी हो जाएगी। सूत्रों ने कहा कि अगर विधायकों की संख्या 69 से नीचे चली जाती है, तो प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान होगा। वर्तमान ताकत के साथ, बीजेपी दो सदस्यों को संसद के ऊपरी सदन में भेज सकती है।

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