गुजरात दंगों में मोदी पर सवाल खड़े करने वाले बर्खास्त आईपीएस संजीव भट्ट को उम्र कैद, पुराने मामले में दोषी करार

गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को जामनगर की अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। भट्ट को 1990 में पुलिस हिरासत में एक व्‍यक्ति की मौत के मामले में यह सजा सुनाई है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

गुजरात के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को जामनगर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक व्यक्ति की हिरासत में मौत के मामले में संजीव भट्ट को दोषी करार दिया गया है। जामनगर की अदालत ने पूर्व आईपीएस को उम्रकैद की सजा दी है। बता दें कि पिछले दिनों संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट से गवाहों की नए सिरे से जांच की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भट्ट की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया था।

गौरतलब है कि संजीव भट्ट गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने 2002 में गुजरात दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। जिस के बाद संजीव भट्ट को गुजरात सरकार ने 2015 में बर्खास्त कर दिया था।


दरअसल, उस समय जामनगर में बंद के दौरान हिंसा हुई थी और तब संजीव भट्ट जामनगर के एसपी थे। हिंसा के दौरान पुलिस ने सैकड़ों को लोगों को गिरफ्तार किया था। इस दौरान हिरासत में एक आरोपी की मौत हो गई थी। मौत के मामले में संजीव भट्ट और उनके साथियों पर मारपीट का केस लगा था। इस मामले में संजीव भट्ट और अन्य पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन गुजरात सरकार ने मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी, लेकिन 2011 में राज्य सरकार ने भट्ट के खिलाफ ट्रायल की अनुमति दे दी।

वहीं संजीव भट ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुये मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने हिरासत में मौत के मुकदमे की सुनवाई के दौरान पूछताछ के लिये अतिरिक्त गवाहों को बुलाने का संजीव भट की मांग को अस्वीकार कर दिया था।

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Published: 20 Jun 2019, 1:39 PM