बिहार: उपचुनाव में नहीं लड़ेगी नीतीश कुमार की पार्टी, सहयोगी दलों को देगी मौका

बिहार की 1 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जेडीयू ने अपना उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है। उपचुनाव के ऐलान के बाद 1 जेडीयू विधायक ने इस्तीफा देकर आरजेडी का दामन थाम लिया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार की 1 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों पर अगले महीने होने जा रहे उपचुनाव में जेडीयू ने अपनी दावेदारी नहीं पेश करने का फैसला किया है। चुनाव आयोग ने बिहार की अररिया लोकसभा सीट और 2 विधानसभा सीटों, भभुआ और जहानाबाद पर 11 मार्च को उपचुनाव कराने का ऐलान किया है। इस बीच खबर आ रही है कि अररिया लोकसभा सीट पर जेडीयू की सहयोगी बीजेपी का कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। वहीं, दोनों विधानसभा सीटों पर भी जेडीयू ने अपना उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि भभुआ सीट पर बीजेपी और जहानाबाद सीट से एनडीए गठबंधन में शामिल कोई अन्य पार्टी चुनाव लड़ेगी।

गौरतलब है कि उपचुनाव की घोषणा के ठीक बाद जेडीयू के विधायक और अररिया के दिवंगत आरजेडी सांसद तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम ने पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। आलम ने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद आरजेडी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम राबडी देवी से जाकर मुलाकात की और फिर आरजेडी कार्यालय पहुंचकर पार्टी की सदस्यता ले ली। तय माना जा रहा है कि आलम आरजेडी के टिकट पर अररिया से लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगे। हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है।आरजेडी सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के सितंबर 2017 में निधन की वजह से अररिया लोकसभा सीट खाली हुई है। तसलीमुद्दीन ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 2 लाख से भी ज्यादा वोट से अररिया से जीत दर्ज की थी। वहीं अलग-अलग चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और जेडीयू के उम्मीदवार दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे थे।

वहीं , बीजेपी विधायक आनंद भूषण पांडे के निधन की वजह से भभुआ विधानसभा सीट और आरजेडी विधायक मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के बाद जहानाबाद विधानसभा की सीट खाली हुई है। माना जा रहा है कि भभुआ सीट से बीजेपी का कोई उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा, जबकि जहानाबाद सीट एनडीए घटक के किसी अन्य दल के खाते में जाएगी।

नीतीश की पार्टी के इस फैसले की अभी आधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई है। लेकिन इसकी चर्चा तेज है। माना जा रहा है कि आरजेडी और कांग्रेस से महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद राज्य में जो घटनाक्रम हुए हैं, वे जेडीयू के अनुकूल नहीं हैं। इस बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल जाने और बक्सर में महादलितों पर पुलुसिया अत्याचार की वजह से लोगों में आरजेडी के प्रति सहानुभूति देखने को मिल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी नीतीश कुमार उपचुनाव में हार का कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने सभी तीनों सीटों पर घटक दलों को चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। जिससे प्रतिकूल परिणाम आने की स्थिति में अपनी साख बनी रहे।

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