झारखंड चुनाव : सियासत की विरासत संभालने उतरे पुत्र, पुत्रियां और पत्नियां  

सियासत में परिवारवाद का विरोध सभी राजनीतिक दल करते हैं, लेकिन जब सियासत में विरासत संभालने की बात आती है, तब नेताओं के परिजन ही कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ते नजर आते हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव में पिता और पति की राजनीतिक विरासत बचाने के लिए इन दिनों पुत्र-पुत्री और पत्नी पूरे दम-खम से डटे हुए हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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मनोज पाठक, IANS

सियासत में परिवारवाद का विरोध सभी राजनीतिक दल करते हैं, लेकिन जब सियासत में विरासत संभालने की बात आती है, तब नेताओं के परिजन ही कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ते नजर आते हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव में पिता और पति की राजनीतिक विरासत बचाने के लिए इन दिनों पुत्र-पुत्री और पत्नी पूरे दम-खम से डटे हुए हैं।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने रविवार को 13 प्रत्याशियों की सूची में लिट्टीपाड़ा से विधायक साइमन मरांडी की विरासत संभालने की जिम्मेदारी उनके पुत्र दिनेश विलियम मरांडी को इस क्षेत्र से दी है। रामगढ़ विधानसभा सीट से विधायक और मंत्री रहे चंद्रप्रकाश चौधरी की भी विरासत संभालने की जिम्मेदारी उनकी पत्नी ने उठा ली है। चौधरी इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए, अब उनकी सीट की जिम्मेदारी पत्नी सुनीता चौधरी ने उठा ली है। रामगढ़ सीट से ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) ने सांसद चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।

झरिया में भी विधायक संजीव सिंह के जेल में रहने के कारण उनके स्थान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनकी पत्नी रागिनी सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है। संजीव हत्या के एक मामले में जेल में बंद हैं। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में भी पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत चुनावी मैदान में हैं और जमकर मेहनत कर रही हैं। इन्हें आजसू ने प्रत्याशी बनाया है।

सिल्ली और गोमिया सीट से भी पूर्व विधायक अमित महतो और पूर्व विधायक योगेंद्र प्रसाद महतो की विरासत उन दोनों की पत्नियां ही संभाल रही हैं। दोनों न्यायालय के आदेश के बाद चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित हो चुके हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने सिल्ली में पूर्व विधायक अमित महतो की पत्नी सीमा महतो को, जबकि गोमिया से बबीता महतो को फिर से टिकट सौंपा है। दोनों पत्नियां अपने पतियों की राजनीतिक विरासत बचाने में लगी हुई हैं। पलामू जिले के पांकी सीट से भी पूर्व विधायक विदेश सिंह की विरासत उनके पुत्र देवेंद्र सिंह संभाल रहे हैं।


बड़कागांव से योगेंद्र साव की विरासत संभालने के लिए उनकी बेटी अंबा प्रसाद चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस ने इन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। सिमडेगा जिले के कोलेबिरा से अपने विधायक और पूर्व मंत्री एनोस एक्का की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए उनकी पुत्री आइरिन एक्का चुनावी मैदान में हैं।

बहरहाल, अपने पिता और पति की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए पुत्र, पुत्री और पत्नियां इस चुनावी समर में पूरा जोर लगाए हुए हैं, मगर जनता किसे विरासत सौंपती है, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा। झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव पांच चरणों में हो रहे हैं। 30 नवंबर, 7, 12, 16 और 20 दिसंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 23 दिसंबर को होगी।

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