ED के अधिकार को झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट में दी चुनौती, अफसरों को भेजे समन पर रोक की मांग की

याचिका में कहा गया है कि ईडी को अपने केस में किसी से भी पूछताछ करने का अधिकार है, लेकिन वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राज्य पुलिस से जुड़े मामले में पुलिस अफसरों को समन कर रही है, जो राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट में ईडी के खिलाफ क्रिमिनल रिट दायर की है। इसमें ईडी की ओर से झारखंड पुलिस के अफसरों को समन भेजे जाने को चुनौती दी गई है। झारखंड सरकार ने पहले इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे इंटरटेन नहीं करते हुए बीते 16 जनवरी को झारखंड सरकार को कहा था कि उसे इस मामले में पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए। हाईकोर्ट को यह मामला सुनने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने वहां से याचिका वापस ले ली थी और इसके बाद गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

झारखंड सरकार ने जिस मामले में ईडी की कार्रवाई को गलत और अधिकार क्षेत्रों का उल्लंघन बताते हुए याचिका दायर की है, वह 2020 में साहिबगंज जिले के बड़हरवा टोल प्लाजा के टेंडर विवाद से संबंधित है। इस विवाद को लेकर शंभु भगत नामक एक ठेकेदार द्वारा झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम और सीएम हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र प्रतिनिधि पंकज मिश्र समेत 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।


एफआईआर दर्ज होने के बाद 24 घंटे के अंदर इसका सुपरविजन करने वाले डीएसपी प्रमोद मिश्र ने मंत्री आलमगीर और पंकज मिश्र को क्लीन चिट दे दी थी। ईडी ने इस मामले में पैसे के लेन-देन के एंगल पर जांच शुरू की है और झारखंड पुलिस के डीएसपी प्रमोद मिश्र को पूछताछ के लिए समन किया है। हालांकि डीएसपी प्रमोद मिश्र ईडी के समन के बावजूद पिछले 13 दिसंबर को पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए थे। इसके बाद ईडी ने उन्हें दोबारा समन जारी कर 15 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था।

झारखंड सरकार ने जो याचिका डाली है, उसमें कहा गया है कि ईडी को अपने केस के सिलसिले में किसी से पूछताछ करने का अधिकार है, लेकिन वह अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर राज्य पुलिस से जुड़े मामले में पुलिस अफसरों को समन कर रही है। झारखंड सरकार ने इसे राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग हाईकोर्ट से की है।

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