जेएनयू नारेबाजी केसः दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कन्हैया, अनिर्बान और उमर समेत कई छात्रों पर आरोप, सुनवाई कल

जेएनयू में कथित तौर पर देशविरोधी नारेबाजी के मामले में दिल्ली पुलिस ने सोमवार को चार्जशीट दाखिल कर दिया है। मामले में 3 साल बाद दाखिल चार्जशीट में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान के साथ 7 कश्मीरी छात्रों को भी आरोपी बनाया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जेएनयू देशविरोधी नारेबाजी केस में दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में 1200 पन्नों का चार्जशीट दाखिल किया है। चार्जशीट में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, राईए रसूल, बशीर भट्ट समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इन सभी पर आईपीसी की धारा 124ए, 147, 149 और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने कुल 36 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, लेकिन केवल 10 के खिलाफ मुकदमा चलाने की बात कही है। पुलिस का कहना है कि आरोपी बनाए गए अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य नही मिले हैं।

चार्जशीट पर सुनवाई के लिए अदालत ने मंगलवार का दिन तय किया है। मिली जानकारी के अनुसार चार्जशीट में कहा गया है कि जेएनयू में घटना वाले दिन 7 कश्मीरी छात्रों ने देशविरोधी नारे लगाए थे। चार्जशीट के कॉलम 12 में आरोपियों का नाम है। इनमें सीपीआई सांसद डी राजा की बेटी और एआईएसएफ की सदस्य अपराजिता राजा का भी नाम है। चार्जशीट में हालांकि कन्हैया के खिलाफ नारे लगाने का कोई सबूत नहीं मिलने की बात कही गई है, लेकिन उन पर नारेबाजों का समर्थन करने का आरोप है। चार्जशीट में उमर खालिद के बारे में कहा गया है कि वह नारेबाजी करने वालों के संपर्क में था और उसे कार्यक्रम में बुलाया भी गया था।

बता दें कि संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू की बरसी पर 2016 में जेएनयू कैंपस में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण देने और देशविरोधी नारेबाजी करने के आरोप लगे थे। हालांकि इस पूरे मामले के दौरान बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी की भूमिका भी संदेह के घेरे में आई थी। इस मामले को लेकर जेएनयू समेत देश के कई जगहों पर खूब हंगामा हुआ। उस समय बीजेपी के कई नेताओं ने जेएनयू को देशद्रोहियों का अड्डा कररा दे दिया था।

मामला दर्ज होने के बाद कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान की गिफ्तारी का भी काफी विरोध हुआ था और कई छात्र संगठनों समेत मानवाधिकार संगठन देश भर में सड़कों पर उतर आए थे। विपक्ष ने पुलिस पर सत्ताधारी बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था। इसके बाद तत्कालीन दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी भी सवालों के घेरे में आ गए थे।

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Published: 14 Jan 2019, 5:08 PM