वीडियो: पत्रकार अमित की आपबीती- पुलिसवालों ने मेरा सर अपने पैरों के बीच दबाया और मेरे मुंह पर पेशाब कर दिया

अमित पिछले साल से ही पत्रकारिता में आए हैं। साथी पत्रकारों की माने तो वो जूनूनी हैं और रिस्क उठाते हैं। इस घटना के बाद पत्रकारों में बेहद गुस्सा है। वो गुरुवार को धरने पर बैठ गए थे अब अमित की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। हालांकि अमित को अभी भी तसल्ली नही है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

पेशे से पत्रकार 26 साल के अमित शर्मा शामली जिले के जलालपुर गांव के रहने वाले हैं। अमित की अभी शादी नहीं हुई है। उनकी भी मां अक्सर बीमार ही रहती हैं। बुधवार की रात जब मालगाड़ी के पटरी से उतरने की खबर उन्हें लगी तो वो घटना स्थल पर पहुंच गए। लेकिन वहां उन्हें पुलिसिया जुल्म से दो चार होना पड़ा। अमित को

अमित को जब जीआरपी ने पीटा और हवालात में बंद कर दिया तो उन्होंने सुबह तक यह बात अपने घर वालों को नहीं बताई थी। अगले दिन जब उनकी पिटाई का वीडियो वायरल होने लगी तो अमित के परिजन डर गए और उन्होंने अमित से पूछा कि रात में क्या हुआ था। अमित कहते हैं, “माता जी बीमार हैं और पिता जी को मैं परेशान नही करना चाहता था, उनका फ़ोन आया था मैंने कह दिया था कि पत्रकारों के साथ झगड़ा हो गया है मैं देर से घर आऊंगा।”

अमित आज भी डरे हुए हैं। पहले वो ट्यूशन पढ़ाकर अपना जीविकोपार्जन करते थे। अब पत्रकारिता में पैर जमाने लगे थे। अमित अब कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं। उन्हें बुरी तरह पीटने वाले जीआरपी के थाना प्रभारी राकेश कुमार के विरुद्ध गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। दो दिन पहले पुलिस द्वारा की गई उसकी पिटाई से अब तक उसे दर्द की दवाएं लेनी पड़ रही है।अमित अपनी आपबीती सुनाते हैं- "मैं बस अपनी ड्यूटी कर रहा था। मालगाड़ी के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए थे, तभी वहां जीआरपी के एसओ राकेश कुमार आ गए और उन्होंने मेरे हाथ मे तेजी से हाथ मारा जिससे मेरा फोन दूर जा गिरा। मैंने कहा यह आपने क्यों किया? तो उन्होंने मुझे गाली देनी शुरू कर दी और उनके साथ वाले पुलिसकर्मी मुझे पीटने लगे। वो मेरे द्वारा एक महीना पहले अवैध वेंडरो के खिलाफ चलाई गई खबर से नाराज थे। मुझे लात घूंसो से बुरी तरह पीटा गया और उसके बाद थाने में लाकर बंद कर दिया। थाने में लाने से पहले इन्होंने एक बार फिर मेरी पिटाई की और मेरा सिर अपने पैरो में दबाकर लगातार कमर पर कोहनी मारी बाद में एसओ ने मेरे मुंह मे पेशाब कर दिया। इसके बाद मुझे थाने ले जाकर एक बार फिर पीटा गया।"

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
फोटो: आस मोहम्मद कैफ

अमित पिछले साल से ही पत्रकारिता में आए हैं। साथी पत्रकारों की माने तो वो जूनूनी हैं और रिस्क उठाते हैं। इस घटना के बाद पत्रकारों में बेहद गुस्सा है। वो गुरुवार को धरने पर बैठ गए थे अब अमित की पिटाई करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है। हालांकि अमित को अभी भी तसल्ली नहीं है। वो भागदौड़ में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। अमित बोले, "बदन में अब भी दर्द है। दवाई खा रहा हूं, मगर अंदर की आग शांत नही हो रही है। जीआरपी पुलिस सुबह चार बजे मुझे अस्पताल लेकर आई। पूरी रात मुझे थाने में रखा और मुझपर रेलवे लाइन के पास घूमने का मुकदमा दर्ज भी कर दिया। जब तक मेरे साथ अन्याय करने वाले सभी पुलिसकर्मी जेल नहीं चले जाते तब तक मैं शांत नही बैठूंगा।”

शामली पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक बेहद चर्चाओं में रहने वाला जिला है। पहले यह मुजफ्फरनगर का हिस्सा था। यहां दबंग जाति के लोगो का वर्चस्व है। अक्सर यहां पत्रकारों के साथ मारपीट के मामले आते रहते हैं कई अखबारों के दफ़्तर पर भी यहां हमले हो चुके हैं। बुधवार को शामली में हुई पत्रकार अमित की पिटाई को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार को कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी है। प्रेस की आज़ादी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले कुछ पत्रकारों गिरफ्तारियों से पहले ही सरकार से पत्रकारों को नाराज़गी है।अमित शर्मा की तहरीर पर एसओ राकेश कुमार,सिपाही संजय कुमार, रिंकू और सुनील के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।


शामली में पत्रकारों पर हमले की यह तीसरी बड़ी घटना है। इससे पहले दो बड़े अखबारों के दफ्तरों पर भी हमला हो चुका है। स्थानीय पत्रकारों का आरोप है कि वो दोनों हमले भी पुलिस शह पर किए गए थे। एडवोकेट प्रताप राठौर के मुताबिक पिछले कुछ समय से पुलिस के व्यवहार में बदलाव आया है। असहमत पत्रकारों के विरुद्ध मुक़दमे दर्ज हुए हैं। अमित की पिटाई सिर्फ उसे बेईज्जत करने के लिए नही की गई, बल्कि सभी पत्रकारों में भय पैदा करने के लिए की गई है।

मुजफ्फरनगर के पत्रकार महासभा के अध्यक्ष मुसर्रफ सिद्दीकी ने बताया, "पुलिस चाहती है कि पत्रकार बस उनके एनकाउंटर की तारीफ करें और उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर मसीहा साबित करें। जो उनसे सवाल पूछता है वो उनकी आंख में चुभ रहा है। अमित के मामले में भी यही हुआ है। पत्रकारों के प्रति पुलिस का व्यवहार अच्छा नही है। पत्रकारों के विरूद्ध झूठे मुक़दमे लिखे जाने की भी शिकायतें मिली है। शामली की घटना ने अब यह तय कर दिया है कि अपने अस्तित्व के लिए अब हमे लड़ना होगा।”

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Published: 15 Jun 2019, 7:03 PM