महज 10 दिन की गौरी को ‘जिंदगी’ और ‘नाम’ तो मिला, लेकिन अब ‘आशियाने’ का इंतजार

चार दिन की गौरी को लॉकडाउन के दौरान सूनी सड़कों पर फेंकने वालों की तलाश में पुलिस ने दिन-रात एक कर रखा है। सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा चुके हैं। गौरी के जन्म के आसपास गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिले में हुए प्रसवों की भी पुलिस सघनता से जांच कर रही है।

फोटोः IANS
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लोक-लाज के भय से बेरहम-बेहाल कलियुगी मां-बाप लॉकडाउन में सूनी सड़कों पर तौलिये में लपेट कर तपती धूप में चार दिन की मासूम को फेंक गए और वो भी बिना कोई 'नाम' दिये हुए। यह भी नहीं सोचा कि यह मासूम धूप से तपती सड़क की गर्मी को कैसे बर्दाश्त करेगी? न ही यह सोचा कि दुधमुंही भूख-प्यास लगने पर तड़पेगी तो जरूर, मगर अपनी बात किसी से कह नहीं पाएगी और कोई उसको सुनने-देखने वाला भी होगा या नहीं।

कोराना वायरस से फैली महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के बीच यह दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हाईटेक शहर नोएडा में। सड़क पर लावारिस हाल में मासूम बच्ची के पड़ी होने की सूचना पर जब नोएडा फेज-3 थाने की पुलिस और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) श्रद्धा पाण्डेय घटनास्थल पर पहुंचीं तो उनका दिल भी बच्ची को देखकर हिल गया।

मर्माहत करने वाली इस घटना के बाद मासूम बच्ची के लालन-पालन की जिम्मेदारी संभाल रहे एक एनजीओ व्यवस्थापक सत्य प्रकाश ने विशेष बातचीत में बताया, "28 अप्रैल को शाम करीब सात बजे के आसपास गौतमबुद्ध नगर पुलिस को 112 नंबर के जरिये बच्ची के सड़क पर पड़े होने की खबर मिली। चार दिन की बच्ची कपड़ों में लपेट कर पर्थला गोल चक्कर के पास रखी गयी थी। बच्ची की जिंदगी बचाना जरूरी था। लिहाजा उसे नोएडा सेक्टर-27 स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां बच्ची को स्वस्थ बताया गया। डॉक्टरों ने बच्ची की उम्र चार दिन बताई।"

चाइल्ड लाइन के कार्यक्रम प्रबंधक सत्य प्रकाश के मुताबिक, फिलहाल चार दिन की लावारिस हाल में मिली वो बच्ची अब गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन द्वारा हमें देखभाल के लिए दे दी गई है। उन्होंने बताया, "हम लोग बच्ची का लालन-पालन कर रहे हैं। बच्ची को 'गौरी' नाम दिया गया है। गौरी हमारे पास 33वां बच्चा है। गौरी को लावारिस छोड़कर जाने वालों की तलाश में जिला प्रशासन और पुलिस जुटी है। अब तक हमारे पास गौरी से पहले जो भी 32 ऐसे बच्चे आए हैं, उनमें से किसी भी मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी। लेकिन गौरी का इस घिनौने और गैर-कानूनी तरीके से परित्याग करने का यह पहला मामला है जिसमें, नोएडा पुलिस ने बाकायदा एफआईआर दर्ज की है।"

उधर गौतमबुद्ध नगर पुलिस सूत्रों से पता चला कि "चार दिन की गौरी को लॉकडाउन के दौरान सूनी सड़कों पर फेंक जाने वालों की तलाश में पुलिस ने दिन-रात एक कर रखा है। सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा चुके हैं। पुलिस छानबीन में ही पता चला है कि गौरी के जन्म के आसपास के संभावित दिनों में गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिले में 53 महिलाओं का प्रसव कराया गया था। इनमें से 25 प्रसव मामलों में अस्पतालों में कोई मोबाइल नंबर दर्ज नहीं मिला है। अब पुलिस इन पते-ठिकानों पर गौरी को इस हाल में फेंकने वालों की तलाश में खाक छान रही है।"

बकौल सत्य प्रकाश, "बाल कल्याण समिति की डबल बेंच ने गौरी को मथुरा स्थित राज्य सरकार के एडॉप्शन सेंटर में दाखिल करने को कहा है। इसके लिए एंबूलेंस, डॉक्टर-नर्स सबका इंतजाम है। बस मुश्किल यह है कि अब करीब 10 दिन की मासूम गौरी को गौतमबुद्ध नगर से मथुरा तक कोरोना की इस महामारी में सफर कराना शायद वाजिब नहीं होगा। लिहाजा जैसे ही कोरोना का कहर कम होता है, गौरी को उसके आशियाने (मथुरा स्थित एडाप्शन सेंटर) में पहुंचा दिया जाएगा। फिलहाल मंगलवार को गौरी का नियमित होने वाला अनिवार्य टीकाकरण करवा दिया गया है।"

एक सवाल के जबाब में सत्य प्रकाश ने कहा, "अब तक गौरी को गोद लेने के लिए हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, कोलकता और मध्य प्रदेश सहित तमाम स्थानों से 60 से ज्यादा फोन आ चुके हैं। लेकिन जब तक गौरी 60 दिन की नहीं हो जाएगी, तब तक हम किसी को भी गौरी को नहीं सौंप सकते। 'कारा' यानि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की यही गाइडलाइन भी हैं।"

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