देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश बने रंजन गोगोई, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई शपथ 

सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ‍ जज जस्टिस रंजन गोगोई ने आज नए मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला। आज जस्टिस रंजन गोगोई देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

देश को 46 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शपथ ले ली है। उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोपनीयता की शपथ दिलाई। न्यायधीश गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले मुख्य न्यायधीश हैं। उनका कार्यकाल 17 नंवबर, 2019 तक रहेगा।

इससे पहले, पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा उच्च न्यायपालिका में स्थायी जज के तौर पर 21 सालों की सेवा के बाद रिटायर हुए। इनमें से 14 साल वह अलग-अलग हाई कोर्ट में जज रहें। दूसरी तरफ, जस्टिस गोगोई 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज बने थे और 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में शपथ ली।

असम से ताल्लुक रखने वाले जस्‍टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 को हुआ। उन्होंने 1978 में अपनी वकालत की शुरूआत की थी। जस्टिस गोगोई को 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाई कोर्ट का जज बनाया गया। इसके बाद 9 सितंबर 2010 को उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हुआ। 12 फरवरी 2011 को वह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए। इसके बाद वह 23 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए।

देश के 46वें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की संपत्तियों पर यदि नजर डाली जाए तो उनके पास सोने का कोई आभूषण नहीं है। उनकी पत्‍नी के पास जो सोने के आभूषण हैं वे शादी के वक्‍त परिजनों-रिश्‍तेदारों, मित्रों से मिले थे। उनके पास कोई निजी वाहन नहीं है। हालांकि इसका एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि करीब दो दशक पहले जब वह जज बने तब से ही उनको आधिकारिक रूप से गाड़ी मुहैया कराई गई है। स्‍टॉक मार्केट में उनका कोई निवेश नहीं है। इसके साथ ही जस्टिस गोगोई पर कोई देनदारी, लोन, ओवरड्रॉफ्ट नहीं है। 2012 में जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी संपत्तियां सार्वजनिक की थीं।

बता दें कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की थी और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा (अब सेवानिवृत्त) के कार्यों पर सवाल उठाते हुए देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। इन जजों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे। जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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