जस्टिस वर्मा कैश कांडः तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, की गई थी FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग
वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्परा और तीन अन्य लोगों ने एक याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि पुलिस को जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से नकदी मिलने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह काफी है। याचिका पर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़े पैमाने पर अधजली हालत में नकदी मिलने के मामले में दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
अधिवक्ता मैथ्यूज जे. नेदुम्परा ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से आग्रह किया कि याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि यह व्यापक जनहित से संबंधित है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि याचिका पर सुनवाई होगी। वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत ने "सराहनीय काम" किया है, लेकिन प्राथमिकी दर्ज किए जाने की जरूरत है।इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "सार्वजनिक बयानबाजी न करें।"
मामले में एक महिला और सह-याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर ऐसा मामला किसी आम नागरिक के खिलाफ होता तो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी कई जांच एजेंसियां उस व्यक्ति के पीछे लग जातीं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "यह काफी है। याचिका पर सुनवाई होगी।" नेदुम्परा और तीन अन्य ने रविवार को एक याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि पुलिस को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।
याचिका में के. वीरस्वामी मामले में 1991 के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि भारत के प्रधान न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना उच्च न्यायालय या शीर्ष अदालत के किसी न्यायाधीश के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस इलाके में स्थित आवास में 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे आग लगने के बाद कथित तौर पर अधजली नकदी बरामद हुई थी।
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