मध्य प्रदेशः कमलनाथ सरकार ने निवेश की ‘सुस्ती’ दूर करने के लिए कसी कमर, इंदौर निवेश सम्मेलन से जगीं उम्मीदें

कमलनाथ सरकार का पूरा जोर है कि इंदौर में आगामी 17 अक्टूबर को आयोजित निवेश सम्मेलन राज्य में निवेशआकर्षित करने में कामयाब हो। राज्य सरकार इस सम्मेलन में दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) को एक बड़े आकर्षण के रूप में पेश करेगी।

फोटोः सोशल मीडिया
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मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में शिवराज सिंह चौहान के शासन काल में निवेश सम्मेलनों के निराशाजनक प्रदर्शन के दौर को बदलने के लिए कमर कस ली है। इस बार निवेश सम्मेलन 17 अक्टूबर से इंदौर में होने जा रहा है। कमलनाथ सरकार इस सम्मेलन में दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) को एक बड़े आकर्षण के रूप में पेश करेगी। सरकार का मानना है कि इस कॉरिडोर में निवेश करना उद्योगपतियों और कंपनियों के लिए तो लाभदायक होगा ही, साथ ही इसका फायदा आम लोगों को ही मिलेगा।

राज्य का नेतृत्व संभालने के बाद से ही कमलनाथ सरकार का जोर ऐसे विकास पर रहा है जिससे हर वर्ग, हर समुदाय का भला हो और सारी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान इस उद्देश्य को ध्यान में रखा जा रहा है। इंदौर निवेश सम्मेलन के लिए भी सरकार की तैयारियां काफी पहले से शुरू हो गई थीं। मिली जानकारी के मुताबिक कमलनाथ सरकार ने शिवराज सिंह चौहान के दौरान निराशा के प्रतीक बने निवेश सम्मेलनों की भी गहनता के साथ समीक्षा की। इसी कारण, सरकार का पूरा जोर है कि इंदौर सम्मेलन वास्तव में राज्य में निवेश आकर्षित करने का साधन बने।

मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद भी इस परियोजना को लेकर काफी उत्साहित हैं और वह निजी तौर पर भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इस कॉरिडोर पर तमाम टाउनशिप विकसित होने जा रही हैं और उम्मीद है कि इससे स्थानीय लोगों को भी खासा फायदा होगा।

उम्मीद का कारण

वैसे तो 9,000 करोड़ डॉलर की डीएमआईसी परियोजना पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है और इसके रास्ते में आने वाले तमाम राज्यों को फायदा होगा, लेकिन मध्य प्रदेश इससे सबसे ज्यादा लाभान्वित होगा। 1483 किलोमीटर के इस कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में मध्य प्रदेश की 372 वर्ग किलोमीटर भू-भागवाली इंटीग्रेटेड टाउनशिप बस रही है। उम्मीद है कि इसके कारण राज्य के आर्थिक हालात में आमूल-चूल बदलाव आएगा।


मध्य प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों की कमी नहीं और देश के प्रमुख पांच राज्यों के साथ सीमा साझा होने के कारण देश की 50 फीसदी आबादी मध्य प्रदेश के सीधे संपर्क में आती है। इतना ही नहीं, प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक इलाके मुंबई और गुजरात स्थित देश के प्रमुख बंदरगाहों से समान दूरी पर हैं। इस कारण, लोकेशन का लाभ तो प्रदेश को मिलना ही है। निवेशकों के लिए अहम बात यह है कि इस औद्योगिक टाउनशिप तक सड़क-हवाई और रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग-3 (आगरा-मुंबई) इसे सड़क मार्ग से जोड़ता है जबकि करीब स्थित इंदौर शहर रेल और हवाई संपर्क की सुविधा देता है। सरकार को उम्मीद है कि इस परियोजना से निवेश तो आएगा ही, आसपास के लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के मौके भी मिलेंगे।

और भी हैं वजहें

कमलनाथ सरकार के उत्साहित होने की कुछ और वजहें भी हैं। मध्य प्रदेश कारोबारी सुगमता रैंकिंग में शीर्ष दस राज्यों में आता है। कारोबार के लिए बिजली एक बुनियादी जरूरत है और मध्य प्रदेश उन चुनिंदा राज्यों में है जिनके पास अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है। इस वजह से भी प्रदेश का रुख करते वक्त कंपनियों को पता होगा कि उन्हें अपने उद्योग चलाने के लिए बिजली की कमी नहीं होगी। सरकार को अंदाजा है कि इन सारी अनुकूल परिस्थितियों का ज्यादा से ज्यादा लाभ तभी लिया जा सकता है, जब उसके पास कुशल श्रम शक्ति भी हो और इसी को ध्यान में रखते हुए कौशल विकास का एक मजबूत ढांचा खड़ा किया जा रहा है।

वैसे भी, करीब 10 महीने पहले पदभार संभालने के बाद सीएम कमलनाथ ने निवेश और कारोबारियों का उत्साह बढ़ाने की तमाम घोषणाएं कीं और इसके साथ ही सुनिश्चित किया कि इस तरह के माहौल के कारण रोजगार के जो भी मौके बनें, उनमें स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाए। मध्य प्रदेश की इस इंडस्ट्रियल टाउनशिप में सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़े उद्योग लगाए जाने हैं।

इनके अलावा वाहन और वाहन कलपुर्जा क्षेत्र को भी प्राथमिकता दी जाएगी। ये वे क्षेत्र हैं जिन्हें किसी भी अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाने में अहम माना जाता है और इस कारण माना जाना चाहिए कि कमलनाथ सरकार ने थोड़े समय में ही राज्य में निवेश और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाते हुए स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार का जो लक्ष्य तय किया है, आने वाले समय में उसके सकारात्मक परिणाम आएंगे और इस दिशा में इंदौर का निवेश सम्मेलन नई उम्मीदें जगाने वाला साबित हो सकता है।

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