कानपुर एनकाउंटर: 15 साल पहले गिरफ्तार हुआ था पुलिस कर्मियों का ‘हत्यारा’ विकास दुबे, घायल SO ने बताई आंखों देखी

कानपुर में एक डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। घटना के दौरान घायल हुए बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने घटना की आंखों देखी बताई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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आस मोहम्मद कैफ

कानपुर में जिस अपराधी विकास दुबे की गिरफ्तारी के प्रयासों के दौरान 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं, वो कुख्यात अपराधी विकास दुबे 15 साल पहले सहारनपुर में नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में अस्पताल तिराहे से गिरफ्तार हुआ था। तत्कालीन जनकपुरी एसओ आर आर कठेरिया ने उसकी गिरफ्तारी की थी। विकास दुबे ने तब पुलिस को अपना नाम विकास शुक्ला बताया था। यह गिरफ्तारी सहारनपुर के तत्कालीन एसएसपी अमिताभ यश को मिली एक टिप पर की गई थी। अमिताभ यश इस समय यूपी एसटीएफ के चीफ हैं, वो कानपुर के भी एसएसपी रह चुके हैं। विकास दुबे के गैंग के बारे काफी जानकारी के चलते उन्हें इस ऑपरेशन में खास तौर पर लगाया गया है।

2001 में इसी विकास दुबे ने बीजेपी सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी। 15 साल पहले इसे गिरफ्तार करने वाले इंस्पेक्टर आर आर कठेरिया इस समय सीबीसीआईडी में तैनात है। इंस्पेक्टर कठेरिया को उस समय विकास दुबे ने रौब में लेने की कोशिश की थी मगर उसका कोई हथकंडा चल नही पाया था। उस समय विकास के विरुद्ध 47 मुकदमे दर्ज थे।


पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक हत्या के बाद भागते समय उसका एक्सीडेंट हो गया था जिसके कारण उसके दोनों पैर में रॉड पड़ी हुई है। इसके बाद ही विकास दुबे की राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आ गई थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उसके सत्ताधारी पार्टी से नजदीकी की और इशारा किया है, हालांकि वो बीएसपी में अपने एक सजातीय नेता के सहारे जेल के अंदर से ही जिला पंचायत सदस्य का समर्थन हासिल कर चुनाव जीत गया था।

एक्सीडेंट के बाद से विकास दुबे अधिकतर अपने गांव बिकरु में ही रहता था और वहां से अपना गैंग को संचालित करता था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक विकास का मुख्य काम विभिन्न अपराधियों को शरण देने का था और बदले में वो उनसे अपराध कराता था। चौबेपुर पुलिस उसका कुछ बिगाड़ नही पा रही थी। उसके खिलाफ कोई शिकायत भी नही करता था। बताया जा रहा है लगभग 60 साल का विकास शुक्ला उर्फ दुबे के संपर्क में 500 से ज्यादा अपराधी हैं। एसटीएफ इस सबकी निगरानी कर रही है। एक खास मिाज के युवा उसे 'गुरुजी' भी कहते हैं।

कानपुर में एक सप्ताह पहले ही नए पुलिस कप्तान की नियुक्ति हुई है। नए पुलिस कप्तान तमिलनाडु के रहने वाले है। युवा है किसी प्रभाव में नही आते हैं। इससे पहले वो सहारनपुर के एसएसपी थे। आज सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और एक बदमाश अतुल दुबे भी मारा गया है। 3 अन्य घायल है। कानपुर में चर्चा है कि गभीर रुप से घायलों में से एक विकास दुबे भी है।

देर रात कानपुर में एक डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। घटना के दौरान घायल हुए बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने घटना की आंखों देखी बताई है उनके अनुसार देर रात को चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव निवासी विकास दुबे के घर पर पुलिस टीम ने दबिश दी थी। बिठूर और चौबेपुर पुलिस ने छापेमारी करके विकास के घर की चारों तरफ से घेराबंदी कर ली थी। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर बदमाशों को पकड़ने की कोशिश कर ही रही थी कि विकास के साथ मौके पर मौजूद 8-10 बदमाशों ने हमारे ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। पुलिसकर्मी जब तक कुछ समझ पाते गोली मेरी जांघ और हाथ पर लग गई। इसके बाद अपराधी मौके से भागने में कामयाब हो गए।

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