कर्नाटकः बोरवेल में फंसे 2 साल के बच्चे को 20 घंटे के अभियान के बाद बचाया गया, सिद्दारमैया ने बचाव टीम को सराहा

सीएम सिद्धरमैया ने बच्चे को सकुशल निकाले जाने पर कहा कि मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई कि बच्चे के परिवार और देश के लाखों लोगों की कामनाएं पूरी हो गईं। मौत पर विजय पा चुका नन्हा बच्चा अपने माता-पिता की गोद में वापस आ गया है।

कर्नाटक में बोरवेल में फंसे 2 साल के बच्चे को 20 घंटे के अभियान के बाद बचाया गया
कर्नाटक में बोरवेल में फंसे 2 साल के बच्चे को 20 घंटे के अभियान के बाद बचाया गया
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नवजीवन डेस्क

कर्नाटक के विजयापुर जिले के इंडी तालुका के लाचयाना गांव में बोरवेल में गिरे दो साल के बच्चे को करीब 20 घंटे के बचाव अभियान के बाद गुरुवार दोपहर में सुरक्षित बचा लिया गया।बोरवेल के अंदर 16 फुट की गहराई में फंसे बच्चे सात्विक सतीश मुजागोंड को सुरक्षित बाहर निकालते ही खुशी की लहर दौड़ गई। बच्चे को तुरंत एक मेडिकल टीम के साथ घटनास्थल पर तैनात एम्बुलेंस में ले जाया गया।

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि बच्चे की सुरक्षा के लिए चौबीसों घंटे काम करने वाले कर्मचारियों और जनता की दक्षता सराहनीय है। सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर ख़ुशी हुई कि बच्चे के परिवार और देश के लाखों लोगों की कामनाएं पूरी हो गईं। मौत पर विजय पा चुका नन्हा बच्चा अपने माता-पिता की गोद में वापस आ गया है।’’

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब बच्चे को बोरवेल से बाहर निकाला गया तो उसके शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं था। पुलिस ने कहा कि बच्चे को इंडी के एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसका प्रारंभिक उपचार किया गया और बाद में उसे जिला अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। पुलिस ने बताया कि फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

बच्चे के माता-पिता ने खुशी व्यक्त की और बच्चे को सुरक्षित बचाने में शामिल सभी कर्मियों और अधिकारियों का तहेदिल से आभार व्यक्त किया। जिस खाली बोरवेल में बच्चा गिरा, उसे मंगलवार को ही खोदा गया था। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के कर्मियों के साथ-साथ अग्निशमन और आपातकालीन सेवा विभाग की 32-सदस्यीय टीम बचाव अभियान में शामिल थीं।

मुख्य अग्निशमन अधिकारी (हुबली) रवि प्रसाद ने बताया कि बच्चे को बचाने के लिए समानांतर खाई खोदते समय कठोर सतह होने के कारण टीम को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया, ‘‘हमारे इंडी दमकल स्टेशन को बुधवार शाम 6.15 बजे एक कॉल मिली। हमारी टीम 'वाटर टेंडर' के साथ तुरंत मौके पर गई। तुरंत हमारी टीम ने बच्चे के पैरों में रस्सी से गांठ लगा दी, ताकि बच्चे को फिसलने से रोका जा सके और इससे हमें काफी फायदा हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मौके पर पहुंची मेडिकल टीम ने बच्चे को समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की। अग्निशमन विभाग की एक अन्य टीम ने उस बोरवेल के समानांतर एक खाई खोदना शुरू कर दिया, जिसमें बच्चा गिरा था।" गुरुवार सुबह तक राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम भी करीब 20 घंटे तक चले बचाव अभियान में शामिल हो गई। जब बचाव अभियान पूरे जोरों पर था, स्थिति का विश्लेषण करने के लिए बोरवेल में एक कैमरा उतारा गया। कैमरे के जरिए उसके पैरों की हरकत पर लगातार नजर रखी जा रही थी।

पुलिस के मुताबिक, बच्चा जब अपने घर के पास खेलने के लिए निकला तो वह खाली बोरवेल में गिर गया। यह मामला तब सामने आया जब किसी ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी और तुरंत उसके परिवार को सूचित किया। माना जा रहा है कि लड़का सबसे पहले बोरवेल में सिर के बल गिरा था।

उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने लोगों से खाली बोरवेल की उपेक्षा न करने और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, यह सुनिश्चित करने के लिए उचित व्यवस्था करने का आग्रह किया। उन्होंने जिला प्रशासन को जिले में खुले पड़े बोरवेल की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया है। कानून में पहले से ही बोरवेल को खुला छोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। उन्होंने कहा, इस कानून का उपयोग करके उन लोगों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए जाएंगे जिन्होंने बोरवेल बंद नही किए हैं।

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