कर्नाटक संकट: विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर खुद लें फैसला, फ्लोर टेस्ट के लिए विधायक बाध्य नहीं- सुप्रीम कोर्ट

कर्नाटक संकट को लेकर बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाया।कोर्ट ने कहा कि स्पीकर विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करेंगे और इसमें समय की कोई सीमा नहीं है। विधायक विधानसभा आने के लिए बाध्य नहीं हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बागी विधायकों को विधानसभा में विश्वास मत में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने यह आदेश कर्नाटक में चल रहे राजनीतिक संकट को देखते हुए दिया है। गुरुवार को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सदन में विश्वास मत साबित करेंगे।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि स्पीकर को अधिकार है कि वो तय करें कि कितने समय में विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेना है, लेकिन 15 बागी विधायकों को 18 जुलाई को होने वाले शक्ति परीक्षण में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

वहीं कोर्ट के फैसले के बाद स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि वह कानून के हिसाब से ही अपना निर्णय लेंगे।


बागी विधायकों की पैरवी कर रहे मुकुल रोहतगी ने कहा, “गुरुवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम बातें कही हैं। 15 विधायकों को गुरुवार को सदन में रहने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। सभी 15 विधायकों को स्वतंत्रता है कि वे गुरुवार को सदन में उपस्थित होते हैं या नहीं।”

इससे पहले मंगलवार को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी। बागी विधायकों की तरफ से पेश वरिष्‍ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि विधायकों को इस्तीफा देने का मौलिक अधिकार है इसे नहीं रोका जा सकता। संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक इस्तीफा तुरंत स्वीकार करना होगा। उन्होंने आगे कहा था कि जब तक इस पर फैसला नहीं होता तक तक उन्हें सदन में पेशी से छूट दिया जाए।


इस पर सीजेआई ने मुकुल रोहतगी की दलीलों पर जवाब देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर को नहीं कह सकता है कि वह विधायकों के इस्तीफे या अयोग्य ठहराने की कार्रवाई किस तरह करें, कोर्ट स्पीकर को इसके लिए रोक या बाधित नहीं कर सकती है।

विधानसभा स्‍पीकर की तरफ से पेश वरिष्‍ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि स्पीकर को जो इस्तीफा दिया गया है, वह वैध नहीं है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि 15 में से 11 बागी विधायकों ने अपना इस्तीफा 11 जुलाई को स्पीकर को दिया। लेकिन सभी विधायकों के खिलाफ अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही उनके इस्तीफे से पहले ही शुरू हो चुकी थी।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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