कर्नाटक हिजाब केस: SC के फैसले पर कांग्रेस बोली- मतलब ये मामला आगे भी कोर्ट का ध्यान करता रहेगा आकर्षित

हिजाब मामले में जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। वहीं दूसरे जज सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

हिजाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है लेकिन फैसला दोनों जजों का अलग-अलग है। अब ऐसे में हिजाब पर फैसला बड़ी बेंच करेगी। इसी बीच कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा है कि, बंटे हुए फैसले का मतलब यही है कि यह मामला आगे भी उस कोर्ट का ध्यान आकर्षित करता रहेगा।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, 'हिजाब' मामले पर सुप्रीम कोर्ट के बंटे हुए फैसले का मतलब है कि यह मामला आगे भी उस कोर्ट का ध्यान आकर्षित करता रहेगा। इस बीच 'भारत जोड़ो यात्रा' बढ़ती आर्थिक असमानता, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही पर प्रधानमंत्री से 'हिसाब' मांगना जारी रखेगी।

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हिजाब मामले पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ की अलग-अलग राय सामने आई है। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने अपील को ही खारिज कर दी और हिजाब पर प्रतिबंध को सही माना है। जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। वहीं दूसरे जज सुधांशु धूलिया ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

वकील वरुण सिन्हा ने कहा, "अभी हाईकोर्ट का फैसला लागू रहेगा, क्योंकि एक जज ने याचिका को खारिज किया है और दूसरे ने उसे खारिज नहीं किया है। अब हाईकोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है।” याचिकाकर्ता पक्ष के वकील आफताब अली खान ने कहा कि फैसला एक खंडित फैसला है। जिसे देखते हुए बेंच ने इसे बड़ी बेंच को रेफर कर दिया गया।

इससे पहले मामले पर 10 दिन की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला 22 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के समक्ष अलग-अलग पक्षों के करीब 12 वकीलों ने बहस की थी।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना था कि हिजाब इस्लाम धर्म में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है। कनार्टक सरकार ने पांच फरवरी 2022 को एक आदेश दिया था। इसमें स्कूल-कॉलेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा पहुंचाने वाले कपड़ों को पहनने पर बैन लगाया गया था।


कब शुरु हुआ था हिजाब विवाद?

इसी साल जनवरी में कर्नाटक के उडुपी से हिजाब विवाद की शुरुआत हुई थी। जहां एक सरकारी कॉलेज में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। वहीं स्कूल प्रबंधक ने भी इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था, जिसके बाद विवाद बढ़ गया और धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया।

विवाद बढ़ने के बाद 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्लासरूम के अंदर हिजाब पर बैन हटाने की मांग संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हिजाब इस्लामी आस्था या धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है. हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। 

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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