कर्नाटकः BJP से गठबंधन के खिलाफ JDS में बवाल, देवगौड़ा ने इब्राहिम को राज्य प्रमुख पद से हटाया

इब्राहिम ने देवेगौड़ा को बीजेपी से हाथ न मिलाने की चेतावनी देते हुए और कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी-एनडीए की हार सुनिश्चित की जानी चाहिए और उन्हें निष्कासित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

BJP से गठबंधन के खिलाफ JDS में बवाल, देवगौड़ा ने इब्राहिम को राज्य प्रमुख पद से हटाया
BJP से गठबंधन के खिलाफ JDS में बवाल, देवगौड़ा ने इब्राहिम को राज्य प्रमुख पद से हटाया
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी से गठबंधन के खिलाफ पार्टी में बवाल को शांत करने की कोशिश करते हुए जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा ने गुरुवार को पार्टी की राज्य कार्यकारी समिति को भंग कर अपने बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को पार्टी का तदर्थ अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इस कदम से उन्‍होंने बगावत का झंडा बुलंद करने वाले सी एम इब्राहिम को एक ही झटके में प्रदेश अध्‍यक्ष पद से हटा दिया।

फैसले के बाद एचडी देवेगौड़ा ने घोषणा की, “प्रदेश अध्‍यक्ष इब्राहिम को बर्खास्त कर दिया गया है। इब्राहिम की अध्यक्षता वाली समिति भंग कर दी गई है। यह निष्कासन नहीं है। सम्मान के साथ उन्हें पद से हटा दिया गया है।'' अगले चुनाव तक कुमारस्वामी प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। वरिष्ठ नेता टीप्पे स्वामी को प्रदेश सचिव घोषित किया गया है। देवेगौड़ा ने कहा कि अन्य पदाधिकारियों को चुनना होगा और यह परामर्श के साथ किया जाएगा।

इससे पहले, इब्राहिम ने पार्टी के राज्य में बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के फैसले को चुनौती देते हुए बगावत की थी। इब्राहिम ने देवेगौड़ा को बीजेपी से हाथ न मिलाने की चेतावनी देते हुए और कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी-एनडीए की हार सुनिश्चित की जानी चाहिए और उन्हें निष्कासित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

इब्राहिम का खुला विद्रोह जेडीएस के लिए बड़ा झटका साबित हुआ था। हालांकि, देवेगौड़ा और कुमारस्वामी ने इस घटनाक्रम को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया और कहा कि जल्द ही सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। सूत्रों ने कहा कि स्थिति जटिल लग रही है, क्योंकि कांग्रेस समर्थित इब्राहिम अपने निष्कासन के मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस घटनाक्रम से जेडीएस में विभाजन का संकेत मिलता है।


हालाकि, आज देवेगौड़ा ने एक मास्टर स्ट्रोक के रूप में कोर कमेटी की एक बैठक बुलाई और पार्टी की कार्यकारी समिति को भंग कर दिया, जिसमें कानूनी कार्यवाही के लिए कोई जगह नहीं देते हुए राज्य अध्यक्ष का पद भी शामिल था। देवेगौड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “हमने एक बैठक बुलाई थी और पार्टी के विभिन्न विंग के नियमों और परामर्श के अनुसार अंतिम निर्णय लिया है। पूर्व सीएम एच.डी. कुमारस्वामी को जेडीएस विधायक दल के नेता के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष भी बनाने का निर्णय लिया गया है।”

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष द्वारा दिए गए बयानों पर चर्चा नहीं करूंगा। चुनाव हुए छह महीने हो गए हैं। मैं उनकी टिप्पणियों से अवगत हूं। कई विधायकों, पूर्व विधायकों ने इस मामले पर चर्चा की है। इब्राहिम ने अपनी राय रखी थी। केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों में इसी तरह के उदाहरण हैं। हमें बीजेपी के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। केरल इकाई ने भी गठबंधन के लिए अपनी सहमति दे दी थी।''

उन्होंने कहा, "अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं की कोई कमी नहीं है। देश में राजनीति अलग मोड में है। चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि जेडीएस में सभी तीन शीर्ष पद वोक्कालिगाओं के पास थे। लेकिन, राष्ट्रीय नेताओं ने कुमारस्वामी की ताकत पहचान ली है।

वहीं, कुमारस्वामी ने कहा कि यह फैसला 18 विधायकों और 30 जिला अध्यक्षों ने लिया है। उन्होंने देवेगौड़ा को फैसला लेने का अधिकार दिया था। उन्‍होंने कहा, “मैं विजयादशमी उत्सव के बाद एक बैठक बुलाऊंगा और पार्टी का पुनर्गठन करूंगा। अगर इब्राहिम बात करना चाहते हैं तो अब भी उनका स्वागत है। कांग्रेस के पास परिवार की राजनीति के बारे में बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”

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