कासगंज में पुलिस हिरासत में मौत के मामले में आखिरकार दर्ज हुआ हत्या का मुकदमा, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं

उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में आखिरकार चार दिन बाद हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है। मामले में किसी को नामजद नहीं किया गया है और न ही अभी तक किसी की गिरफ्तारी हुई है।

फोटो : आस मोहम्मद कैफ
फोटो : आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

उत्तर प्रदेश के कासगंज के नंगला सय्यद इलाके के 21 साल के युवक अलताफ़ की थाने में हुई मौत के चार दिन बाद आखिरकार आज अलताफ की हत्या का मुक़दमा दर्ज हो गया। अलताफ की मौत को कासगंज पुलिस ने आत्महत्या बताया था और हैरतअंगेज तरीके से टॉयलेट की टोंटी से लटककर जान दिए जाने की बात कही थी। पुलिस के इस बयान की बड़े पैमाने पर आलोचना हुई थी।

उत्तर प्रदेश के कासगंज का रहने वाला अलताफ टाइल्स लगाने का काम करता था और उस पर पड़ोस की ही एक बहुसंख्यक समुदाय की लड़की को बहला फुसलाकर भगा ले जाने का मुकदमा दर्ज था। 8 नवंबर को पुलिस उसे घर से पूछताछ के लिए थाने लेकर गई थी और उसके अगले दिन ही उसकी मौत की खबर आई थी। कासगंज पुलिस ने बताया था कि अलताफ ने अपनी जैकेट के नाड़े से पानी की टोंटी में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन ध्यान देने वाली यह थी कि जिस टोंटी से लटकर अलताफ की आत्महत्या की कहानी पुलिस बता रही थी, उसकी जमीन से ऊंचाई सिर्फ 2 फ़ीट थी, जबकि अलताफ की लंबाई करीब साढ़े पांच फीट थी। ऐसे में यह बात किसे गले नहीं पड़ रही थी।

इस दौरान अलताफ के पिता चांद मियां का एक पत्र भी चर्चा में आया था जिसमें उन्होंने पुलिस की बात पर सहमति जताई थी। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि वो अनपढ़ है और उन्हें नहीं पता कि उस पत्र में क्या लिखा हुआ था! जिसके बाद पुलिस की कहानी पर और गहरे सवाल उठने लगे थे।

पिछले चार दिनों से लगातार विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने कासगंज में अलताफ के घर पहुंचकर परिवार का दुख साझा किया था। इस दौरान कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरएलडी के नेताओं ने अलताफ के पिता से मिलकर उन्हें ढाढस बंधाया था। इसी कर्म में शनिवार को भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आज़ाद भी उनके घर पहुंचे और अलताफ के पिता को अपने साथ लेकर अधिकारियों से मिले और आखिरकार अलताफ की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ।

जिस एफआईआर पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ है उसे अलताफ के पिता चांद मियां की तरफ से दी गई अर्जी पर दायर किया गया है। अर्जी में उन्होंने कहा कि 8 नवंबर को उनके बेटे अलताफ को कुछ पुलिसकर्मी घर से बुलाकर थाने ले गए थे। तब उसने भी बेटे के साथ चलने के लिए कहा था लेकिन पुलिस ने उसे डांटकर वापस भेज दिया था। 9 नवंबर को पुलिस ने उसे अस्पताल बुलाया और बताया कि उसके बेटे ने आत्महत्या कर ली है। जिस टोंटी से आत्महत्या होना बताया गया वो सिर्फ 2 फ़ीट की है। मेरा बेटा 5 फ़ीट का है। मेरे बेटे की साजिशन हत्या की गई है। इसके बाद मुझसे एक कागज पर अंगूठा लगवा लिया गया जबकि मैं अनपढ़ हूँ। मैंने किसी भी प्रशासनिक अधिकारी से कोई समझौता नहीं किया है।


एफआईआर दर्ज होने के बाद अलताफ के पिता ने नवजीवन के साथ बातचीत में बताया कि पिछले चार दिनों से उसने बेबसी के आंसू रोए हैं। वो एक बेहद गरीब आदमी है, उसका कोई सहारा नही है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनके घर आकर उसे जो हिम्मत दी उसी वजह से मुकदमा दर्ज हुआ है, वो सभी का शुक्रिया अदा करते हैं। हालांकि उन्हें दुःख है कि सत्तापक्ष का कोई नेता उनके घर उनका दुःख बांटने नही आया है। उन्होंने कहा कि, "आखिर में भी इसी देश का नागरिक हूं।"

पिछले चार दिनों से अलताफ के घर ही डटे समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने इस मुक़दमे के दर्ज होने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की हैं। उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से हत्या के मामले को दर्ज करने में आनाकानी करना सरकार की न्याय करने की मंशा को स्पष्ट करता है।

फिलहाल मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया है।

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