कश्मीर में टारगेट किलिंग से खौफ में कश्मीरी पंडित और अन्य हिंदू, मार्च निकाल जम्मू में ट्रांस्फर की मांग की

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से निराश हैं क्योंकि घाटी में मुस्लिम, हिंदू, सिख सहित कोई भी सुरक्षित नहीं है। अपनी ड्यूटी फिर से शुरू नहीं करेंगे क्योंकि सरकार लक्षित हत्याओं को रोकने और सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह विफल रही है।

फोटोः IANS
फोटोः IANS
user

नवजीवन डेस्क

कश्मीर घाटी में लक्षित हत्याओं से कश्मीरी पंडित और गैर-स्थानीय सरकारी कर्मचारियों खौफ में आ गए हैं। गुरुवार को सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ एक मार्च निकाला और जम्मू क्षेत्र के अपने-अपने गृह जिलों में तत्काल स्थानांतरण की मांग की।

घाटी में तैनात प्रदर्शनकारी कश्मीरी पंडित और अन्य गौर स्थानीय कर्मचारी मंगलवार को कुलगाम जिले के एक स्कूल में आतंकवादियों द्वारा मारी गई अपनी सहयोगी स्कूल शिक्षक रजनी बाला की तस्वीरों के साथ तख्तियां लिए हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने जम्मू संभाग के विभिन्न स्थानों में अपने गृह जिलों में स्थानांतरित करने की मांग की।


प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे अपनी ड्यूटीज को फिर से शुरू नहीं करेंगे क्योंकि सरकार लक्षित हत्याओं को रोकने और उन्हें एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रही है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "जम्मू के विभिन्न जिलों के लगभग 8,000 कर्मचारी अंतर-जिला स्थानांतरण नीति के तहत कश्मीर में काम कर रहे हैं और हम वर्तमान माहौल में वापस लौटने और अपने ड्यूटी को फिर से शुरू करने वाले नहीं हैं।"

अनंतनाग जिले में तैनात एक शिक्षक रमेश चंद ने कहा, "हम पिछले 15 वर्षों से वहां सेवा कर रहे हैं, लेकिन लक्षित हत्याओं में तेजी को देखते हुए असुरक्षित और तनाव महसूस कर रहे हैं।"
अन्य प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे बिगड़ती सुरक्षा स्थिति से निराश हैं क्योंकि घाटी में मुस्लिम, हिंदू और सिख सहित कोई भी सुरक्षित नहीं है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia