केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने SIR पर उठाए सवाल, कहा- ये लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए है गंभीर चुनौती

सीएम विजयन ने आरोप लगाया कि आयोग मतदाता सूची के इस पुनरीक्षण के लिए मौजूदा मतदाता सूची के बजाय 2002 से 2004 के बीच की सूचियों को आधार बनाने की तैयारी कर रहा है, जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 का उल्लंघन होगा।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को भारत निर्वाचन आयोग के केरल समेत कुछ अन्य राज्यों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराने के निर्णय की कड़ी आलोचना की और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर चुनौती बताया।

सीएम ने आयोग की मंशा पर जताया संदेह

मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि आयोग की इस पहल से उसकी मंशा को लेकर संदेह पैदा होता है और यह चुनावी व्यवस्था पर जनता के भरोसे को कमजोर कर सकती है।


पुरानी मतदाता सूचियों को आधार बनाने पर आपत्ति

विजयन ने आरोप लगाया कि आयोग मतदाता सूची के इस पुनरीक्षण के लिए मौजूदा मतदाता सूची के बजाय 2002 से 2004 के बीच की सूचियों को आधार बनाने की तैयारी कर रहा है, जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 का उल्लंघन होगा।

कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए दी चेतावनी

उन्होंने कहा कि इन कानूनों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन मौजूदा सूची को आधार बनाकर ही किया जाना चाहिए।

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स्थानीय चुनावों की तैयारी के बीच पुनरीक्षण अव्यावहारिक

मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य निर्वाचन अधिकारी पहले ही आयोग को सूचित कर चुके हैं कि केरल में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी के बीच विशेष गहन पुनरीक्षण कराना व्यावहारिक नहीं होगा।

"निर्णय की मंशा पर उठता है सवाल"

विजयन ने कहा, “इन चेतावनियों के बावजूद इस चरण में एसआईआर को आगे बढ़ाना इस कदम के पीछे की मंशा पर संदेह पैदा करता है।”


12 राज्यों में नवंबर से फरवरी के बीच SIR

मुख्यमंत्री का यह बयान निर्वाचन आयोग की इस घोषणा के एक दिन बाद आया है कि नवंबर से फरवरी के बीच केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर की प्रक्रिया को संपन्न कराया जाएगा।

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