केरल: समुद्र में डूबे लाइबेरियाई जहाज के कंटेनर बहकर तट पर पहुंचे, तेल रिसाव का बढ़ा खतरा

डूबे हुए जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल था। कुछ कंटेनर में कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक पदार्थ रखे हुए थे, जो समुद्री जल के साथ प्रतिक्रिया करके अत्यधिक ज्वलनशील एसिटिलीन गैस उत्सर्जित करता है।

केरल: समुद्र में डूबे लाइबेरियाई जहाज के कंटेनर बहकर तट पर पहुंचे, तेल रिसाव का बढ़ा खतरा
केरल: समुद्र में डूबे लाइबेरियाई जहाज के कंटेनर बहकर तट पर पहुंचे, तेल रिसाव का बढ़ा खतरा
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नवजीवन डेस्क

केरल अपतटीय क्षेत्र में लाइबेरियाई मालवाहक जहाज के डूबने के बाद उसमें रखे कंटेनर अब बहकर तट पर आने लगे हैं, जिससे वहां तेल रिसाव का खतरा पैदा हो गया है। अधिकारियों ने जहाज से तेल रिवास के काररण राज्य के तटीय क्षेत्र में ‘हाई अलर्ट’ जारी कर दिया है। पुलिस ने बताया कि दक्षिणी कोल्लम और तटीय अलाप्पुझा जिलों के तटों पर कुछ कंटेनर पाए गए हैं।

केरल तट पर जहाज के डूबने की घटना के बाद स्थिति का आकलन करने के लिए मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। दक्षिणी कोल्लम और तटीय अलाप्पुझा जिले के तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों और मछुआरों से सतर्क रहने का आग्रह करते हुए एक परामर्श जारी किया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, अब तक नौ कंटेनर बहकर तट पर आ चुके हैं।

भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के अनुसार, रविवार की सुबह मालवाहक जहाज पलट गया और समुद्र में डूब गया, जिससे काफी मात्रा में तेल रिसाव हो गया। डूबे हुए जहाज के टैंकों में 84.44 मीट्रिक टन डीजल और 367.1 मीट्रिक टन ‘फर्नेस ऑयल’ था। कुछ कंटेनर में कैल्शियम कार्बाइड जैसे खतरनाक पदार्थ रखे हुए थे, जो समुद्री जल के साथ प्रतिक्रिया करके अत्यधिक ज्वलनशील एसिटिलीन गैस उत्सर्जित करता है। इस खतरनाक पदार्थ की वजह से प्राधिकारियों के लिए परेशानी बढ़ गई है।

बयान में कहा गया है, ‘‘जहाज से ईंधन भी लीक हो गया है। कल रात से आज सुबह तक नौ कंटेनर बहकर तट पर आ गए हैं, जिसमें से चार कंटेनर शक्तिकुलंगरा बंदरगाह के पास, तीन चावरा के पास, एक चेरियाझीकल (कोल्लम जिला) में और एक अलाप्पुझा के थ्रीकुन्नापुझा में पाया गया। तटरक्षक बल दो जहाजों का उपयोग करके तेल रिसाव को रोकने के उपाय कर रहा है।’’


सीएमओ ने कहा कि तेल रिसाव को बेअसर करने के मकसद से डोर्नियर विमान का इस्तेमाल कर ‘डिस्पर्सेंट’ पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है। इसमें कहा गया है, ‘‘यह घटना ‘टियर 2’ श्रेणी की आपदा के अंतर्गत आती है, इसलिए राष्ट्रीय बलों, सुविधाओं और संसाधनों का उपयोग करके रोकथाम के प्रयास किए जा रहे हैं। तटरक्षक बल के महानिदेशक राष्ट्रीय तेल रिसाव आकस्मिक योजना के प्रमुख हैं।’’

बयान में आगे कहा गया है कि अलप्पुझा, कोल्लम, एर्नाकुलम और तिरुवनंतपुरम जिलों के तटों पर कंटेनर के बहकर आने की अधिक संभावना है। प्राधिकारियों ने लोगों और मछुआरों को चेतावनी दी है कि वे तट पर पाई जाने वाली किसी भी असामान्य वस्तु या कंटेनर को न छुएं। ऐसी वस्तुओं के करीब भी ना जाएं। उन्हें सलाह दी गई है कि वे कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाए रखें और 112 पर फोन करके ऐसी किसी भी वस्तु या कंटेनर की सूचना दें।

हालांकि मछुआरों को समुद्र में जाने से बचने के लिए मौसम संबंधी परामर्श जारी है, लेकिन जहाज के मलबे वाली जगह से 20 समुद्री मील के भीतर मछली पकड़ना सख्त वर्जित है। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि भारतीय तटरक्षक बल के तीन जहाजों- विक्रम, सक्षम और समर्थ को प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिए क्षेत्र में तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि तेल रिसाव का हवाई आकलन करने के लिए विशेष उपकरणों के साथ आईसीजी डोर्नियर विमान को कोच्चि में तैनात किया गया है।

पीआरओ ने कहा कि इसके अलावा जारी अभियान की मजबूती के मकसद से यहां समर्पित प्रदूषण नियंत्रण पोत समुद्र प्रहरी को मुंबई से लाया जा रहा है। जबकि डीएचक्यू-4 में तटरक्षक अधिकारी संभावित तटरेखा सफाई अभियानों पर सलाह देने के लिए सरकारी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में बने हुए हैं।


करीब तीन किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेल के बहने के कारण पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस बीच, तिरुवनंतपुरम जोन के मुख्य सीमा शुल्क आयुक्त कार्यालय ने कहा है कि जहाज पर मौजूद कुल 643 कंटेनर में से 73 कंटेनर खाली थे और 13 में खतरनाक सामग्री लदी हुई थी। इन सामग्री में कैल्शियम कार्बाइड भी शामिल था। बयान में कहा गया, ‘‘घटना के समय जहाज पर मौजूद सभी सामग्री पर शुल्क नहीं चुकाया गया था और ऐसे सामान को अनधिकृत रूप से हटाना या उठाना अवैध है।’’

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